नई दिल्ली : अपने विवादित बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहने वाले त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब की मुश्किलें बढ़ गई हैं। भाजपा का एक धड़ा उन्हें हटाने की मांग को लेकर दिल्ली में डेरा डाले है। नाराज विधायकों के गुट का कहना है कि उनके बयानों से पार्टी राज्य में कमजोर हो रही है और ऐसा ही चलता रहा तो अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक त्रिपुरा भवन में ठहरे ये विधायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने की कोशिश में हैं।
सीएम देब के बयानों ने बढ़ाई मुश्किल
दरअसल, बिप्लब देब ने हाल ही में बयान दिया है कि भाजपा राज्य में 30 से 35 साल तक शासन कर सकती है। हालांकि, उन्होंने अपने बयान के साथ यह भी जोड़ दिया कि पार्टी को राज्य के 80 प्रतिशत घरों में विवेकानंद की तस्वीर लगवानी होगी। अब पार्टी के करीब दर्जन भर विधायक देब को हटाने की मांग को लेकर दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बगावत करने वाले नेताओं में राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुदीप रॉय बर्मन, सुशांत चौधरी, आशीष साहा, रामप्रसाद पाल, परिमल देब बरमा, अतुल देब बरमा और बी मोहन शामिल हैं।
भाजपा अध्यक्ष नड्डा से मिलने की कोशिश में हैं ये नेता
त्रिपुरा भवन में ठहरे ये नेता भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने की कोशिश में हैं। हालांकि, बिहार चुनाव की व्यस्तता की वजह से नड्डा से इनकी मुलाकात अभी संभव नहीं हो पाई है। बागी नेताओं का आरोप है कि बिप्लब त्रिपुरा की भाजपा इकाई में एक तानाशाह की तरह काम कर रहे हैं और भाजपा सरकार उन वादों को पूरा नहीं कर पा रही है जिनका वादा उसने 2018 के विधानसभा चुनावों में किया था।
नेताओं का कहना है कि पार्टी के प्रति बढ़ रही नाराजगी
नेताओं का आरोप है कि देब की कार्यशैली की वजह से जनता में पार्टी के प्रति नाराजगी बढ़ रही है और आगे ऐसा ही चलता रहा तो जनता का यह आक्रोश राज्य की सत्ता में कांग्रेस-वाम दलों की सरकार के लौटने का मार्ग प्रशस्त करेगा। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 25 साल से सत्ता में रहने वाली वामपंथी सरकार को हराया था।
'कोविड-19 से ठीक से नहीं निपट रही सरकार'
नेताओं का आरोप है कि कोविड-19 संकट के दौरान सरकार की अव्यवस्था सामने आ गई है। राज्य की सरकार कोरोना से निपटने में कारगर कदम नहीं उठा पाई है। यहां तक कि राज्य में कोई स्वास्थ्य मंत्री नहीं है। बताया जाता है त्रिपुरा में पार्टी का महासचिव पद रिक्त होने से भी नेताओं में नाराजगी है। बागी तेवर अख्तियार करने वाले नेताओं का यह भी दावा है कि उनके पास करीब 25 विधायकों का समर्थन है और ये विधायक बिप्लब देव की कार्यशैली से खुश नहीं हैं। भाजपा के इन नेताओं का मानना है कि बिप्लब देब आए दिने अपने बयानों से विवाद पैदा करते हैं जो पार्टी के लिए अहितकर साबित होता है।
त्रिपुरा में भाजपा के पास 36 विधायक
त्रिपुरा में विधानसभा की 60 सीटें हैं। भाजपा के पास 36 विधायक हैं जबकि आईपीएफटी के पे आठ विधायक हैं। बगावत करने वाले नेताओं का यह दावा कि उनके पास 25 विधायकों का समर्थन है, अगर यह बात सही है तो बिप्लब देव सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
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