नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर को लेकर गठित तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग ने गुरुवार को अपने अंतिम आदेश में कश्मीर में विधानसभा सीट की संख्या 47 जबकि जम्मू में 43 रखने की अनुशंसा की है। अंतिम आदेश में जम्मू में छह जबकि कश्मीर में एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा गया है वहीं राजौरी और पुंछ के क्षेत्रों को अनंतनाग संसदीय सीट के तहत लाया गया है।
आयोग ने एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाने की तारीख से बदलाव प्रभावी होंगे। आयोग का गठन मार्च 2020 में किया गया था। इस रिपोर्ट के साथ ही केंद्रशासित जम्मू कश्मीर में पहले विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। सीटों के पुनर्निर्धारण के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीट की कुल संख्या 90 हो जाएगी। फिलहाल इनकी संख्या 86 है जिनमें से 37 सीट जम्मू में जबकि 46 कश्मीर में हैं।
उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व वाले आयोग द्वारा अंतिम आदेश पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद एक राजपत्रित अधिसूचना जारी की गई। मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर के राज्य चुनाव आयुक्त के. के शर्मा परिसीमन आयोग के पदेन सदस्य हैं। आयोग ने सिफारिश की है कि केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में कम से कम दो सदस्य मनोनीत हों, जिनमें से एक कश्मीरी प्रवासी समुदाय की महिला हो। बाद में आयोग की रिपोर्ट केंद्रीय कानून मंत्रालय को सौंपी गई।
आयोग को 2011 की जनगणना के आधार पर जम्मू कश्मीर में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन का काम सौंपा गया था। आयोग ने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों को मनोनयन के जरिए विधानसभा में कुछ प्रतिनिधित्व देने पर विचार करने की भी सरकार से सिफारिश की है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जम्मू क्षेत्र की जनसंख्या 53.72 लाख और कश्मीर क्षेत्र की 68.83 लाख है। कुल 90 विधानसभा क्षेत्रों में से नौ को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रखा गया है। इन नौ क्षेत्रों में छह जम्मू में और तीन घाटी में हैं।
रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ट्वीट किया कि हमने परिसीमन आयोग की अंतिम सिफारिशें देखी हैं। हम प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए इन सिफारिशों के प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं। पार्टी ने कहा कि राजनीति से प्रेरित कितना भी परिसीमन क्यों न कर दिया जाए लेकिन इससे जमीनी सचाई नहीं बदलने वाली, जो यह है कि जब भी चुनाव होंगे तब मतदाता भारतीय जनता पार्टी और इसके छद्म दलों को नहीं बख्शेंगे, उन्होंने बीते चार साल में जम्मू-कश्मीर में जो किया है उसके लिए मतदाता उन्हें दंडित करेंगे।
हालांकि पीपल्स कॉन्फ्रेंस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर आरोप लगाया कि आयोग के विचार-विमर्श में उसके सांसदों ने भाग लिया था और इस तरह उसने परिसीमन की कवायद को अपनी स्वीकृति दी। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कुछ नयी बात कहने के लिए नहीं है क्योंकि "हमने हमेशा यह कहा है कि परिसीमन आयोग जम्मू-कश्मीर में भाजपा के राजनीतिक ‘गेम प्लान’ को लागू करने और लोगों को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने के लिए था।"
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