नई दिल्ली : कोविड महामारी की तीसरी लहर के बीच 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया जाना है। गणतंत्र दिवस समारोह में आम तौर पर विदेशी मेहमानों को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किए जाने की परंपरा रही है, लेकिन कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच लगातार दूसरी बार विदेशी मेहमान इस बार भी मुख्य अतिथि के रूप में इस समारोह में शामिल नहीं होंगे।
भारत ने 26 जनवरी को होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के लिए पांच मध्य एशियाई देशों के नेतृत्व को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था, जिसमें कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उजबेकिस्तान का नेतृत्व शामिल है। लेकिन कोविड के बढ़ते मामलों के बीच नई दिल्ली अब गणतंत्र दिवस समारोह में मध्य एशियाई देशों के नेताओं की मेजबानी नहीं करेगा।
यह लगातार दूसरा साल है, जब कोविड-19 के कारण गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान उच्च स्तरीय यात्राओं को रद्द करना पड़ा है। बीते साल गणतंत्र दिवस समारोह के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को आमंत्रित किया गया था, जब उन्होंने निमंत्रण स्वीकार भी कर लिया था, लेकिन दुनियाभर में कोविड-19 महामारी के बीच आखिरी समय में इस दौरे को रद्द कर दिया गया था।
कोविड को देखते हुए इस बार गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वालों की संख्या में भी 70-80 फीसदी कटौती का फैसला लिया गया है। इस साल केवल 5,000 से 8,000 लोगों को ही इसमें शामिल होने की अनुमति होगी, लेकिन इसके लिए कोविड वैक्सीनेशन को अनिवार्य किया गया है। साथ ही फ्रंटलाइन वर्कर्स, ऑटो चालकों, मजदूरों के लिए पहले से सीटें आरक्षित रहेंगी।
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