महाराष्ट्र की राजनीति इस समय चर्चा के केंद्र में है। जहां एक तरफ महाविकास अघाड़ी की सरकार खतरे में है तो दूसरी तरफ शिवसेना में भी फूट पड़ चुकी है। बागी एकनाथ शिंदे 40 से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं जो इस समय गुवाहाटी में हैं। सरकार और पार्टी को बचाने के लिए उद्धव ठाकरे ने बुधवार को अपील की थी कि जिन्हें दिक्कत है वो आमने सामने बात करें वो सीएम पद ही नहीं बल्कि पार्टी के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे देंगे। लेकिन इन सबके बीच राजनीतिक दलों में बगावत से संबंधित दिलचस्प जानकारी भी है। देश के अलग अलग राज्यों में समय समय पर राजनीतिक दलों में टूट हुई है। संभवत: कोई भी दल इससे अछूता नहीं है। लेकिन बात अगर कांग्रेस की करें तो इस दल को सबसे अधिक बगावत का सामना करना पड़ा है।
2020- मध्य प्रदेश
2020 में सियासी भूचाल से मध्य प्रदेश हिल गया था। कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 22 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ी और उसका असर यह हुआ कि कमलनाथ की सरकार गिर गई। सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया और उसका फायदा यह हुआ कि बीजेपी एक बार फिर सरकार बनाने में कामयाब हुई।
2018- कर्नाटक
कर्नाटक में कांग्रेस के 17 विधायक बागी हुए और उस वजह से बी एस येदियुरप्पा की राह आसान हुई। 2018 में येदियुरप्पा, कर्नाटक के सीएम जरूर बने लेकिन उनकी सरकार गिर गई। कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाई। यह बात अलग है कि तत्कालीन सीएम एच डी कुमारस्वामी अपनी पीड़ा की गाथा बयां करते रहते थे। येदियुरप्पा को लगा कि कांग्रेस में टूट के जरिए वो कर्नाटक का सीएम बन सकते हैं और सतत प्रयास के बाद कांग्रेस के 17 विधायक बागी हुए और एक बार फिर येदियुरप्पा सीएम की गद्दी तक जा पहुंचे।
2017-गोवा
साल 2017 में गोवा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी। लेकिन सरकार बनाने में नाकाम रही। कांग्रेस के 10 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हो गई।
2016- उत्तराखंड
साल 2016 में उत्तराखंड से दिलचस्प खबर सामने आई। कांग्रेस के 9 विधायकों ने बगावत की। हालांकि इन विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य ठहरा दिया था। लेकिन सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया गया। कुछ महीनों के बाद सभी बागी 9 विधायक बीजेपी के हिस्सा बने। बता दें कि यहां पर कांग्रेस के लिए राहत की बात यह रही कि उत्तराखंड हाईकोर्ट के दखल के बाद हरीश रावत सरकार बहाल हो गई थी।
2016- अरुणाचल
बात अगर अरुणाचल प्रदेश की करें तो कांग्रेस के 42 विधायक बीजेपी के हिस्सा बन गए। उस वक्त 60 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के पास सिर्फ 11 विधायक थे।
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