CAA-NRC भारत के मुस्लिमों के खिलाफ नहीं, राजनीतिक लाभ के लिए सांप्रदायिक रूप दिया: मोहन भागवत

गुवाहाटी में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सीएए और एनआरसी का हिंदू-मुस्लिम विभाजन से कोई लेना-देना नहीं है; राजनीतिक लाभ के लिए इसे सांप्रदायिक रूप दिया गया हैं। सीएए से किसी मुसलमान को दिक्कत नहीं होगी।

Mohan Bhagwat
मोहन भागवत  |  तस्वीर साभार: ANI

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टरन (NRC) का भारत के मुस्लिम नागरिकों से कोई लेना-देना नहीं है। मोहन भागवत ने कहा कि भारत के नागरिकों को सीएए और प्रस्तावित एनआरसी के बारे में चिंता करने की कोई बात नहीं है। मोहन भागवत ने कहा, 'सीएए-एनआरसी किसी भारतीय नागरिक के खिलाफ बनाया गया कानून नहीं है। सीएए से भारत के मुस्लिम नागरिकों को कोई नुकसान नहीं होगा। राजनीतिक लाभ लेने के लिए कुछ लोगों ने इसे हिंदू-मुसलमान का मुद्दा बना दिया है। राजनीतिक लाभ के लिए दोनों विषयों (सीएए-एनआरसी) को हिंदू-मुसलमान का विषय बना दिया गया है। यह हिंदू-मुसलमान का विषय नहीं है।'

वह गुवाहाटी में नानी गोपाल महंत द्वारा लिखित, 'सिटीजनशिप डिबेट ओवर एनआरसी एंड सीएए असम एंड द पॉलिटिक्स ऑफ हिस्ट्री' नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी मौजूद थे। 

...तो नहीं होता देश का बंटवारा: भागवत

उन्होंने आगे कहा कि भारत के विभाजन के बाद, नए राष्ट्रों ने अपने-अपने अल्पसंख्यक समुदायों की देखभाल करने का वादा किया था। हम आज तक इसका पालन कर रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान ने नहीं किया। सभी लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ इस सपने के साथ लड़ाई लड़ी कि एक स्वतंत्र देश होगा। देश के विभाजन के समय (भारतीय) लोगों की सहमति नहीं ली गई थी। अगर उस समय आम सहमति मांगी जाती तो देश का बंटवारा नहीं होता। लेकिन नेताओं ने फैसला लिया और जनता ने मान लिया।

RSS चीफ ने आगे कहा, 'विभाजन के फैसले के बाद बड़ी संख्या में लोगों को (अपने घरों से) बेदखल करना पड़ा। आज भी ये लोग बेदखल हो रहे हैं। उनका क्या दोष है? उनके बारे में कौन सोचेगा? उन लोगों की मदद करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। हमें किसी भी धर्म, भाषा या पंथ से कोई समस्या नहीं है। समस्या तब शुरू होती है जब कोई वर्चस्व के इरादे से एकरूपता थोपने की कोशिश करता है।' 

'यह हिंदू-मुसलमान का मुद्दा नहीं है'

भागवत ने कहा कि एनआरसी यह जानने का एक तरीका है कि हमारे देश का नागरिक कौन है। यह किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है। देश की राजनीति में इसे राजनीतिक लाभ के हिसाब से ही माना जाएगा। कुछ लोग इसे सांप्रदायिक आधार पर लाएंगे। वे इसे हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा बनाते हैं, लेकिन यह हिंदू-मुसलमान का मुद्दा नहीं है। संघ प्रमुख ने कहा, 'हमें दुनिया से धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और लोकतंत्र के बारे में सीखने की जरूरत नहीं है। यह हमारी परंपरा है। हमारी दृष्टि वसुधैव कुटुम्बकम की है। हमें किसी भी क्षेत्र, भाषा या पंथ से कोई समस्या नहीं है। भाषाओं और जीवन शैली के अंतर के बावजूद, भारतीय सभ्यता आम संबंध है।'
 

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर