Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ चुका है। और रूस के रूख को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि वह किसी भी हालत में यूक्रेन पर रहम बरतने को तैयार नहीं है। इस बीच नाटो (NATO) ने 100 से ज्यादा जंगी लड़ाकू विमान अलर्ट पर कर दिया है। साफ है कि अब युद्ध, महायुद्ध की ओर बढ़ रहा है और इसका असर पूरी दुनिया पर होने वाला है। रूस और यूक्रेन खाद्यान्न उत्पादन के मामले भी काफी संपन्न राष्ट्र है। और गेहूं और जौ के उत्पादन में भी उनकी अहम दिस्सेदारी है। ऐसे में युद्ध की वजह से इन अनाजों की सप्लाई चेन पर भी असर पड़ने का खतरा बढ़ गया है। इसकी वजह से कई वस्तुओं के दाम बढ़ंगे, जिसमें बियर भी शामिल है। दुनिया में बियर की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका बढ़ गई है।
रूस दुनिया में सबसे बड़ा जौ उत्पादक, यूक्रेन चौथे नंबर पर
रूस दुनिया में जौ का सबसे ज्यादा उत्पादन करता है। उसका सालाना उत्पादन 1.8 करोड़ टन के आसपास है। जबकि यूक्रेन जौ उत्पादन में चौथे नंबर पर है। जहां करीब 95 लाख टन उत्पादन होता। वहीं भारत में जौ का उत्पादन 16-17 लाख टन के करीब है। जिसका बड़ा हिस्सा राजस्थान और उत्तर प्रदेश में होता है। दुनिया भर में बियर जौ से ही बनती है। ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने युद्ध को देखते हुए 'जौ की सप्लाई चेन प्रभावित होने की आशंका जताई है। हालांकि इसका असर भारत के कुछ प्रीमियम ब्रांड पर ही असर पड़ने की संभावना है। क्योंकि ज्यादा बेवरेज कंपनियां घरेलू बाजार से ही जौ खरीदती हैं।' लेकिन रूस और यूक्रेन से सप्लाई बाधित होने पर ग्लोबल मार्केट में दाम बढ़ेंगे और उसका असर घरेलू बाजार में भी कीमतों पर दिखना तय है।
क्या कहती है रिपोर्ट
मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में ज्यादातर बियर जौ से ही बनती है। और कच्चे माल की लागत में जौ की 30 फीसदी हिस्सेदारी होती है। और दुनिया भर का करीब 18 फीसदी जौ का निर्यात यूक्रेन से होता है। और अगर वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 63.6 फीसदी बढ़ चुका है। और तिमाही आधार पर 13.6 फीसदी बढ़ चुका है। और रूस-यूक्रेन संकट को देखते हुए सप्लाई चेन को लेकर अनिश्चितता है।
फरवरी-मार्च में ही ज्यादा खरीदारी
दुनिया में 90 फीसदी माल्ट उत्पादन जौ से ही होता है। माल्ट से अल्कोहलिक बेवरेज बनाए जाते हैं। गर्मियों को ध्यान में रखते हुए अनेक बेवरेज कंपनियां फरवरी-मार्च के महीने में ही जौ अधिक मात्रा में खरीदती हैं। ऐसे में जब युद्ध छिड़ चुका है, एयरस्पेस बंद हैं और नाटो के रूख कोट देखते हुए स्थिति और गंभीर होती दिख रही है। ऐसे में खरीदारी बाधित होने की पूरी आशंका है। जिसका असर बढ़ी कीमतों के रूप में दिखेगा।
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