नई दिल्ली: भारत को मिल गया रूस में बना दुनिया का सबसे आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम S 400...पहली खेप भारत को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत आने से पहले ही मिल चुकी है। भारतीय वायुसेना की ओर से S-400 ट्रायम्फ मिसाइल डिफेंस सिस्टम की पंजाब में एक एयरबेस पर फरवरी तक तैनाती पूरी होने की संभावना है। मिसाइल डिफेंस सिस्टम की पहली रेजीमेंट की तैनाती इस तरीके से की जा रही है कि इसके दायरे में उत्तरी सेक्टर में चीन से लगी सीमा और पाकिस्तान से लगा सीमांत भी शामिल होगा। रूस से भारत को S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की कुल पांच यूनिट मिलेंगी इससे पाकिस्तान और चीन टेंशन में हैं।
S-400 एयर डिफेंस सिस्टम युद्ध होने पर पाकिस्तान की सीमा में घुसकर उसके लड़ाकू विमान और मिसाइलों को मार गिराने की क्षमता रखता है। ये भारत-रूस दोस्ती की सबसे बड़ी मिसाल है। S-400 मिसाइल सिस्टम को आधुनिक दौर के युद्ध में गेमचेंजर माना जाता है। जिसके रहते आसमान में परिंदा भी पर नहीं मार सकता है।
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चीन काफी वक्त से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए बेचैन था लेकिन रूस ने तय किया कि वो अपना एयर डिफेंस सिस्टम S-400 चीन को नहीं देगा। इसे चीन के खिलाफ एक हो रहे देशों के बीच भारत की कूटनीतिक और सामरिक जीत के तौर पर देखा जाना चाहिए। जाहिर है बौखलाए चीन ने आरोप लगाया है कि एक अन्य देश के दबाव में रूस ने ये फैसला किया है। भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से जारी तनाव के बीच रूस ने फिलहाल चीन को S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति रोक दी है।
भारत ने अमेरिका की धमकियों के बावजूद अक्टूबर 2018 में S-400 का रूस से पांच अरब डॉलर का सौदा किया था यहां आपको S-400 का इतिहास भी जान लेना चाहिए। रूस ने S-200 मिसाइल डिफेंस सिस्टम वर्ष 1967 में विकसित किया था ये एस सीरीज का पहला मिसाइल डिफेंस सिस्टम था। वर्ष 1978 में S-300 को विकसित किया गया। S-400 को वर्ष 1990 में विकसित किया। 9 वर्ष बाद 1999 में इसका प्रशिक्षण शुरू किया गया और 28 अप्रैल 2007 को रूस ने पहला S-400 मिसाइल सिस्टम तैनात किया।
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मार्च 2014 में रूस ने इस एडवांस सिस्टम को चीन को दिया। 12 जुलाई 2019 को तुर्की को इस सिस्टम की पहली डिलीवरी दी गई और भारत ने रूस से 2018 में S-400 का सौदा किया। अब भारत भी रूस से S-400 मिलने के बाद सामरिक दृष्टि से मजबूत हो चुका है। चीन के लिए ये बड़ा झटका इसलिए भी है क्योंकि एक तरफ रूस ने भारत को तय वक़्त पर S-400 देकर अपना वादा पूरा किया जबकि चीन के लिए ना सिर्फ S-400 की सप्लाई रोक दी है बल्कि ये भी नहीं बताया है कि चीन को S-400 कब दिया जाएगा।
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