नई दिल्ली : भारत और इजरायल के द्विपक्षीय संबंध यूं तो पहले से मौजूद हैं लेकिन अब इस दोस्ती को नई ऊंचाई पर ले जाने की तैयारी चल रही है। बेंजामिन नेतन्याहु के दौर के बाद इजरायल की नई सरकार के साथ आपसी रिश्ते को और मजबूत बनाने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर 19 से 21 अक्टूबर तक इजरायल की यात्रा पर होंगे। जयशंकर यूएई होते हुए अपनी तीन दिनों की यात्रा पर इजरायल पहुंचेंगे।
घरेलू प्रतिबद्धताओं एवं कोरोना महामारी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी अतंरराष्ट्रीय यात्राओं को बहुत सीमित कर दिया है लेकिन अपने करीबी सहयोगी एवं सामरिक साझीदार देशों के साथ नियमित अंतराल पर संपर्क में रहने की जिम्मेदारी उन्होंने विदेश मंत्री एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को दी है। विदेश मंत्री इन दिनों उन देशों के साथ भी मेलजोल और द्विपक्षीय संबंध बढ़ा रहे हैं जिनके साथ पूर्व की सरकारों के दौरान गर्मजोशी भरे रिश्ते नहीं थे। इसी क्रम में भारत मेक्सिको, ग्रीस, अर्मेनिया, किर्गिस्तान जैसे देशों के साथ अपने कूटनीतिक रिश्ते और प्रगाढ़ कर रहा है।
अपनी इस इजरायल यात्रा के दौरान एस जयशंकर प्रधानमंत्री नफताली बेनेट और अपने समकक्ष येर लेपिड से मिलेंगे। बताया जा रहा है कि विदेश मंत्री की इस यात्रा का उद्देश्य इजरायल की इस नई गठबंधन सरकार के साथ संपर्क तेज करना और तेल अवीब के साथ द्विपक्षीय संबंधों में और रफ्तार एवं ताजगी भरना है।
बताया जा रहा है कि तालिबान सरकार के आने के बाद अफगानिस्तान में उभरी नई परिस्थितियों एवं मध्य एशिया में बदले माहौल को देखते हुए विदेश मंत्री दुबई में एक दिन के लिए रुकेंगे। यहां वह यूएई के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे। अब्रहाम समझौते के बाद यूएई अब इजरायल का सहयोगी देश बन गया है। यूएई और इजरायल के संबंध सामान्य होने पर भारत ने गर्मजोशी से इसका स्वागत किया। समझा जाता है कि अफगानिस्तान में मानवीय सहायता किस रूप में दी जाए, इस पर भी जयशंकर की यूएई के नेतृत्व के साथ बातचीत होगी। पीएम मोदी जी-20 की वर्चुअल बैठक में पहले ही इस संकटग्रस्त देश को मानवीय मदद देने की बात कह चुके हैं।
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