एक हफ्ते से ज्यादा वक्त से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है लेकिन भारत के सामने भी दो चुनौतियों है। एक तो जंग के मैदान से छात्रों की सुरक्षित वापसी और दूसरा कूटनीतिज्ञ स्तर पर भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर क्या स्टैंड ले? पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने टाइम्स नाउ नवभारत से एक्सक्लुसिव बातचीत में सरकार को दोनों मुद्दों पर विफल बताया। सलमान ने ऑपरेशन गंगा को सरकार के मंत्रियों के लिए फोटोअप बताते हुए देर से उठाया कदम बताया।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस ऑपरेशन को चलाने में देरी की और अब जब बच्चों को वहां से निकाला जा रहा है तो सरकार अपने नारे लगवा रही है। वहीं केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए चार मंत्रियों पर भी चुटकी लेते हुए सलमान ने कहा कि वो मंत्री यहां कुछ कर भी नहीं रहे थे, बेहतर है कि सरकार उन्हें वहीं छोड़ दे।
वहीं पूर्व विदेश मंत्री का मानना है कि भारत को अपने विदेश नीति में किसी भी तरह के बदलाव करने की जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को विदेश नीति को लेकर अपने अप्रोच में बदलाव लाना चाहिए। सरकार की प्राथमिकता छात्रों को वॉर जोन ने लाने की होनी चाहिए जिसके लिए उसे रूस से बात करनी चाहिए। पूर्व विदेश मंत्री होने के नाते सलमान खुर्शीद ने सरकार को नसीहत दी कि उसे रूस-अमेरिका दोनों महाशक्तियों में से किसी एक को चुनने की जरूरत नहीं है। पंडित नेहरू के जमाने से जो गुटनिरपेक्ष नीति को ही आगे बढ़ाना चाहिए।
सलमान खुर्शीद ने सरकार की विदेश नीति पर उठाया सवाल
खुर्शीद ने कहा कि सरकार ये न सोचें कि देश मे विदेश नीति 7 साल से ही आई है बल्कि ये गांधी और नेहरू के ज़माने से ही चली आ रही है, देश मे विदेश नीति के जानकार और भी लोग हैं। उन्होंने कहा कि, सरकार न तो देश मे बात करती हैं और न ही विदेश में अच्छा होगा कि प्रधानमंत्री रेडियो के जरिये मन की बात कर अपनी बात कह दें वो दुसरो तक पहुँच जाएगा।
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