Sawal Public Ka : उत्तर प्रदेश के चुनाव का तापमान बढ़ता जा रहा है। एक ओर गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ के नामांकन को लेकर BJP ने पूरे उत्तर प्रदेश में माहौल बनाने की कोशिश की। तो दूसरी ओर कल हापुड़ में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की कार पर फायरिंग का मामला उत्तर प्रदेश के चुनावी सीन में नया मोड़ ले आया है। ओवैसी ने खुद पर हमले को लेकर लोकसभा में मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि देश में राइटविंग चरमपंथ बढ़़ रहा है। क्या ओवैसी का ये रुख उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल में अखिलेश यादव को नुकसान पहुंचा सकता है ? क्या ओवैसी पर हमले का पॉलिटिकल मतलब है, आज सवाल पब्लिक का यही है ? ओवैसी पर हमला संयोग या प्रयोग ?
असदुद्दीन ओवैसी की कार पर फायरिंग के बाद आज ओवैसी को गृह मंत्रालय ने Z कैटेगरी की सुरक्षा दे दी। लेकिन ओवैसी ने खुद की सुरक्षा को पॉलिटिकल एंगल दे दिया। आज संसद में उन्होंने कहा कि मुझे Z कैटेगरी की सुरक्षा नहीं चाहिए, बल्कि A कैटेगरी के आम नागरिक का अधिकार चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि देश में नफरत बढ़ रही है। हाल ही में हरिद्वार में हुई धर्म संसद में हेट स्पीच का मुद्दा बनाकर उन्होंने सरकार को कटघरे में खड़ा किया। ओवैसी ने भी आज 2 हिंदुस्तान की बात की। जिसमें एकतरफ नफरत है, दूसरी तरफ मुहब्बत है।
ओवैसी सरकार और BJP पर जितना आक्रामक होंगे, उत्तर प्रदेश के चुनाव में उनका समर्थन उतना बढ़ सकता है। हम अब आपको उत्तर प्रदेश में ओवैसी फैक्टर को आंकड़ों के जरिये समझाने की कोशिश करते हैं। ओवैसी ने 100 सीटों पर लड़ने की बात की थी लेकिन अभी तक 66 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, जिनमें 55 मुसलमान और 11 हिंदू हैं। 2017 के चुनाव में AIMIM ने 38 उम्मीदवार उतारे थे जिनमें सिर्फ 1 SC आरक्षित सीट पर AIMIM का हिंदू कैंडिडेट था।
अब सवाल है कि क्या उत्तर प्रदेश में ओवैसी मुस्लिम वोट बांट देंगे? उत्तर प्रदेश में 25 से 50 प्रतिशत मुस्लिम आबादी 85 सीटों पर है। मुस्लिम प्रभाव वाली ये 85 सीटें उत्तर प्रदेश के 14 जिलों में हैं जो पूरब से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैली हुई हैं। 2017 के चुनाव में इन 85 सीटों पर BJP को 40.4% वोटों के साथ 64 सीटें मिलीं। जबकि समाजवादी पार्टी को 23.4% वोटों के साथ 16 सीटें मिलीं। 2017 के आंकड़े बता रहे हैं कि इन 85 सीटों पर जहां 40% से अधिक मुस्लिम आबादी थी वहां समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन बेहतर था।
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अबकी बार भी अधिकतर प्री पोल सर्वे में अखिलेश यादव को मुस्लिमों का समर्थन मिलता दिख रहा है, लेकिन ओवैसी का जोर जरा भी चला तो अखिलेश का खेल बिगड़ सकता है। आपको याद दिला दूं कि पिछले बिहार चुनाव में मुस्लिम बहुल सिर्फ 5 सीटें ओवैसी की पार्टी ने जीती थी, और RJD के नेता तेजस्वी यादव का समीकरण बिगड़ गया था।
ओवैसी फैक्टर कितना बड़ा हो सकता है, इसे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना सज्जाद नोमानी की चिट्ठी से समझें। नोमानी ने कुछ हफ्तों पहले ओवैसी से मुस्लिम वोटों को ना बांटने की अपील की थी।
1. ओवैसी पर हमले के पीछे क्या कोई पॉलिटिकल एंगल है ?
2. ओवैसी को सिर्फ एकतरफ की नफरत ही क्यों दिखती है ?
3. ओवैसी ने अगर वोट काटा तो अखिलेश को नुकसान होगा ?
4. योगी की 'मठ पॉलिटिक्स' से यूपी चुनाव पर कितना असर पड़ेगा ?
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