मौलाना तौकीर रजा अपने भड़काऊ बयानों के लिए बदनाम रहा है। लेकिन वो एक प्रभावशाली मौलाना है। लिहाजा कांग्रेस को उसका साथ लेने में गुरेज नहीं। तौकीर रजा किस तरह बंटवारा करता है, उसकी एक स्पीच से पता चल जाएगा। इसमें वो कहता है कि मैं देखता हूं मेरे नौजवानों के दिलों में जितना गुस्सा पनप रहा है। मैं डरता हूं उस वक्त से जिस दिन मेरे नौजवान ये गुस्सा फूट पड़ा। जिस दिन मेरा नौजवान मेरे कंट्रोल से निकल गया। मुझे उस वक्त से डर लगता है। खास तौर से अपने हिंदू भाइयों से कहना चाहता हूं मुझे उस वक्त से डर लगता है जिस दिन मेरा ये नौजवान कानून अपने हाथ में ले लगा। जिस दिन ये नौजवान बेकाबू हो गया और कानून अपने हाथ में लेने पर मजबूर हो गया तो तुम्हें हिंदुस्तान में पनाह नहीं मिलेगी।
मौलाना तौकीर रजा के राजनीतिक दल का नाम है, इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल। तौकीर रजा का राजनीतिक दल भले बड़ा ना हो लेकिन वो मुस्लिम वोटों का खेला करने में बेहद प्रभावी है। खासकर ये बरेलवी मौलाना उत्तर प्रदेश के चुनाव में बड़ा असर डाल सकता है। इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल ने कांग्रेस को सभी पांचों चुनावी राज्यों में अपना समर्थन दे दिया है। समर्थन इस नाम पर दिया गया है कि राहुल और प्रियंका के नेतृत्व में कांग्रेस ही शांति और भाईचारा ला सकती है।
तौकीर रजा ने कांग्रेस को अपना समर्थन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात के बाद दिया। उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने बाकायदा ट्वीट करके तौकीर रजा को समर्थन के लिए शुक्रिया कहा है। तौकीर रजा का समर्थन लेने पर बीजेपी ने कांग्रेस पर जोरदार हमले किए हैं। बीजेपी उत्तर प्रदेश चुनाव में कैराना में दंगे भड़काने के आरोपी नाहिद हसन को समाजवादी पार्टी का टिकट मिलने को भी मुद्दा बना रही है। नाहिद हसन गैंगस्टर एक्ट में अभी गिरफ्तार है, और उसके टिकट पर सस्पेंस बना हुआ है। लेकिन बीजेपी ने ऐन चुनाव के बीच मुद्दा लपक कर विरोधी दलों को हिंदू विरोधी करार दे दिया है। अब कांग्रेस के लिए तौकीर रजा पर जवाब देना भारी पड़ रहा है।
तौकीर रजा विवादित मौलाना है, लेकिन कांग्रेस क्यों चुप है..इसकी वजह क्या हो सकती है, इसे आंकड़ों के जरिए समझिए। उत्तर प्रदेश में करीब 20% मुसलमान वोटर हैं और राज्य की 403 में से तकरीबन 140 सीटों पर नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। 2017 में बीजेपी की लहर के बीच मुस्लिम वोटों का बंटवारा समाजवादी पार्टी और बीएसपी के बीच हुआ था। इस बार एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि उन्हें राज्य के 80 फीसदी लोगों का समर्थन है तो दूसरी ओर मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण का भी खेल शुरू हो गया है।
सवाल पब्लिक का में सवाल हैं कि
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