संसद के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन भी चला गया। सरकार कह रही है हमें नैतिकता न पढ़ाओ, अपने किए पर माफी मांगो, तब सदन में आओ। विपक्ष कह रहा है कि माफी भूल जाओ, किस बात की माफी। निलंबन का आदेश तुरंत वापस करो। मतलब 12 सासंदों के निलंबन पर सरकार और विपक्ष दोनों अड़े हुए हैं। जनता के मुद्दे हवा में गए हैं। अजीब हाल बना हुआ है, जिस सांसद पर एक्शन नहीं हुआ वो कह रहे हैं मुझे क्यों छोड़ दिया। जिस पर एक्शन हुआ वो पूछ रहे हैं मुझ पर एक्शन क्यों हुआ? सरकार कह रही है बिना माफी सदन में वापसी नहीं होगी। विपक्ष कह रहा है माफी किस बात की? विपक्ष की तरफ से सरकार को एक चिट्ठी लिखी गई है।
इस चिट्ठी में लिखा है कि पिछले मानसून सत्र के एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए 12 सदस्यों का निलंबन को लेकर जरूरत से ज्यादा सख्त कदम उठाया गया है। सदस्यों के निलंबन के मंत्री द्वारा लाया गया मोशन रूल 256 (1) का सीधा उल्लंघन है। ये मान लेना कि मोशन सदन में पास हो ही जाएगा मानना गलत होगा क्योंकि पूरा विपक्ष उस वक्त सदन में मौजूद था जो इसका विरोध कर रहा था। निलंबित किए गए सदस्यों को अपनी बात तक रखने का मौका तक नही दिया गया। निलंबित किए गए एक सदस्य का तो नाम तक 11 अगस्त के बुलेटिन में नहीं था। सदन के रूल्स के मुताबिक सदस्यों को निलंबित करने से पहले उनको "नेम" करना जरूरी था।
सरकार का अपना पक्ष है। पीयूष गोयल, सदन के नेता हैं, उनका कहना है कि सदन में इस प्रकार की घिनौनी हरकत करना और फिर कहना कि वो सेशन तो खत्म हो गया, अब कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। ये मेरे ख्याल से ना न्यायिक है और ना इस सदन की गरिमा को देश के सामने बढ़ाएगा। इसलिए हमने आपसे प्रार्थना की थी कि इनकी हरकतों पर ध्यान दिया जाए और जिन सदस्यों ने 11 अगस्त को ये सब हरकत की थी, क्योंकि वो आखिरी दिन था तो जब सदन चालू हुआ तो पहले दिन ही हमने ये एक्शन लेने का प्रस्ताव रखा और ये प्रस्ताव इस सदन ने पारित किया है।
12 सांसदों पर एक्शन का तर्क क्या है?
डोला सेन ने स्कार्फ का लूप बनाकर शांता छेत्री के गले में डाला। स्कार्फ के लूप को लेकर डोला सेन और शांता छेत्री वेल के पास पहुंचीं। फूलो देवी नेताम ने कागज फाड़कर टेबल की ओर फेंका। छाया वर्मा ने भी कागज फाड़कर टेबल की ओर फेंके। बिनॉय विश्वाम और एलमरम करीम ने टेबल पर रखे पेपर खींचे। अखिलेश प्रसाद सिंह ने सिक्योरिटी स्टाफ और सदन की टेबल का वीडियो बनाया। डोला सेन ने सदन के नेता और संसदीय कार्य मंत्री का रास्ता रोका और उन्हें धक्का दिया। डोला सेन ने महिला मार्शल्स के साथ धक्का-मुक्की की। सैयद नासिर हुसैन और प्रियंका चतुर्वेदी ने कागज फाड़कर टेबल की ओर फेंका। सैयद नासिर हुसैन ने संजय राउत को धक्का दिया। धक्का-मुक्की में एलमरम करीम, रिपुन बोरा, बिनॉय विश्वाम और अखिलेश प्रसाद सिंह भी शामिल हैं। रिपुन बोरा कोने में लगे LED स्टैंड पर चढ़ गए। एलमरम करीम ने मार्शल का गला दबाया, फूलो देवी नेताम और छाया वर्मा ने लेडी मार्शल के साथ बदतमीजी की और उन्हें धक्का दिया। महिला मार्शल को बचाने आए एक मार्शल को एलमरम करीम और सैयद नासिर हुसैन ने खींचा। रिपुन बोरा एक बार फिर LED स्टैंड पर चढ़े।
अब एक सवाल ऐसा है जो दो सांसद पूछ रहे हैं। उनका सवाल सोशल मीडिया में भी वायरल है। सवाल संजय सिंह और प्रताप सिंह बाजवा का है कि उन पर क्यों एक्शन नहीं हुआ। इसका जवाब मिला है कि हंगामे के वक्त सदन की कार्यवाही स्थगित हो चुकी थी। कुछ भी ऑन रिकॉर्ड नहीं गया। ये सरकार का पक्ष है लेकिन एक पक्ष संजय सिंह और प्रताप सिंह बाजवा का भी है। वो ये कि उन पर इसलिए एक्शन नहीं हुआ क्योंकि पंजाब में चुनाव में उन्हें हीरो नहीं बनने देना था।
अब जो सवाल पब्लिक का है
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