नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया जाफरी की अर्जी खारिज कर दी है। जाफरी ने अपनी अर्जी में 2002 के गुजरात दंगे की जांच में एसआईटी की ओर से तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने को चुनौती दी गई है। अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच में कानून के उल्लंघन से जुड़ी जाफरी की बातों का वह समर्थन नहीं करता। अदालत ने कहा कि जांच रिपोर्ट के बारे में मजिस्ट्रेट एवं हाई कोर्ट का जो रुख रहा उस पर भी उसे आपत्ति नहीं है। इस केस में पहली याचिकाकर्ता पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी (80) और दूसरी याचिकाकर्ता समाजसेवी तीस्ता सीतलवाड़ हैं।
गुजरात दंगे की जांच एसआईटी ने की
सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और गुजरात एसआईटी की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने इस अर्जी के लिए जाफरी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि गुजरात दंगे की एसआईटी ने व्यापक रूप से जांच की। अपनी इस जांच में एसआईटी को 'मुकदमा चलाने योग्य साक्ष्य' नहीं मिले। मेहता एवं रोहतगी ने कहा कि सीतलवाड़ के निहित स्वार्थ हैं और वह इस मामले को जिंदा रखने के लिए लगातार एक अभियान चलाती आ रही हैं।
तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को मिली क्लीन चिट
जाफरी का आरोप है कि एसआईटी ने गुजरात दंगे की जांच ठीक तरीके से नहीं की। बता दें कि एसआईटी ने 2002 दंगे की जांच की। उसने दंगे मामले में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं एवं नौकरशाहों से पूछताछ की। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसे इनके खिलाफ साक्ष्य नहीं मिले और आरोपियों को क्लीन चिट दी।
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