जम्मू-कश्मीर HC की रिपोर्ट देखने के बाद SC ने कहा- बच्चों को हिरासत में रखने का आपका दावा सही नहीं  

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Updated Sep 20, 2019 | 12:56 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

जस्टिस एसए बोबडे एवं जस्टिस एसए नजीर की पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा, 'हमें जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट मिली है और यह रिपोर्ट आपके दावे का समर्थन नहीं करती।'

SC says report received from J&K HCm claims people unable to access court not supported
सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर में बच्चों को हिरासत में लिए जाने के दावों पर रिपोर्ट मांगी।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • कश्मीर में बच्चों को हिरासत में लिए जाने पर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने दी है रिपोर्ट
  • रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चों को हिरासत में लिए जाने के आपके दावे सही नहीं
  • शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस समिति को एक सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उसे जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट से रिपोर्ट मिली है और यह रिपोर्ट हाई कोर्ट तक पहुंच न होने का याचिकाकर्ता के दावे का समर्थन नहीं करती। बाल अधिकार एक्टिविस्ट्स इनाक्षी गांगुली और शांता सिन्हा का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी ने गत 16 सितंबर को शीर्ष अदालत को बताया था कि घाटी के लोग अपनी शिकायत दर्ज कराने हाई कोर्ट तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। याचिकाकर्ताओं ने कश्मीर में बच्चों को हिरासत में लिए जाने का आरोप लगाया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट तलब की थी।

जस्टिस एसए बोबडे एवं जस्टिस एसए नजीर की पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा, 'हमें जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट मिली है और यह रिपोर्ट आपके दावे का समर्थन नहीं करती।' बता दें कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि कश्मीर में बच्चों को कथित रूप से हिरासत में लिए जाने के आरोप से संबंधित याचिका पर कोर्ट सुनवाई करेगा क्योंकि इसमें बच्चों के बारे में 'गंभीर बातें' कहीं गई हैं।


शुक्रवाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के जुवेनाइल जस्टिस कमेटी को कश्मीर में बच्चों को कथित रूप से हिरासत में लिए जाने के बारे में रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर दाखिल करने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत में दायर याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद घाटी में बच्चों को हिरासत में लिया गया है और उन्हें उनके कानूनी अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।

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