मुंबई : भारतीय नौसेना को बुधवार को एक और योद्धा मिल गया। मुंबई के समुद्र में स्कॉर्पियन क्लास की पनडुबबी आईएनएस करंज का जलावतरण हुआ। परमाणु ईंधन से चालित होने वाली इस पनडुब्बी को स्वदेशी तकनीक से बनाया गया है। यह रक्षा क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर भारत' की एक और उपलब्धि है। यह पनडुब्बी स्टील्थ फीचर से युक्त है जिसे दुश्मनों के रडार के पकड़ में आना असंभव है। इसमें बेहतरीन अत्याधुनिक उपकरण और सोनार सिस्टम लगे हैं। यह पनडुब्बी लंबे समय तक पानी में रह सकती है।
परमाणु ईंधन से चलने वाली चौथी पनडुब्बी है करंज
भारत के पास अभी परमाणु ईंधन से चलने वाली तीन पनडुब्बियां हैं। ये पनडुब्बियां हैं-आईएनएस चक्र, आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघट। आईएनएस चक्र रूस से 10 साल के लिए लीज पर है और इसका लीज 2022 में समाप्त हो जाएगा। भारतीय नौसेना के पास डीजल और इलेक्ट्रिक से चलने वाली 14 पनडुब्बियां है। भारत ने इनमें से एक पनडुब्बी सिंधुवीर को पिछले साल पड़ोसी देश म्यांमार को दिया है। कलावरी क्लास के तीन पनडुब्बियों के अलावा अरिहंत क्लास की बैलिस्टिक मिसाइल एवं परमाणु ईंधन चालित दो पनडुब्बियों का निर्माण देश में हो रहा है।
आईएनएस करंज की ताकत
इसमें अब तक बेहतरीन स्वदेशी सोनार सिस्टम लगा है, 'करंज' जमीन पर भी हमला कर सकती है।
जलावतरण के मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्मरता' विजन का स्वागत किया। नौसेना प्रमुख ने कहा कि इससे भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ेगी। यह पनडुब्बी नौसेना की बढ़ती ताकत को दर्शाने वाली है। भारत के पास अभी युद्धपोत एवं पनडुब्बियों की संख्या 42 है। जबकि 40 पनडुब्बियों का निर्माण हो रहा है। एक समुद्र में एक पनडुब्बी का पता लगाने में दुश्मन के चार से पांच युद्धपोत शामिल होते हैं।
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