नई दिल्ली। दिल्ली और एनसीआर की सड़कों को प्रदर्शनकारी जबरदस्ती बंधन ना बनाएं। प्रदर्शन की वजह से आम लोगों की किसी तरह की परेशानी ना हो। इस संबंध में नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस विषय पर सुनवाई के दौरा अदालत ने गंभीर टिप्पणी की है। अदालत का मानना है कि ट्रैफ्रिक के सुचारू संचालन को बाधित नहीं किया जा सकता है और इस तरह की बात हमने कई मौकों पर कही भी है। बेंच की अगुवाई जस्टिस संजय कौल कर रहे हैं जिन्होंने शाहीन बाग के संबंध में फैसला सुनाया था। उन्होंने कहा कि यह एक प्रशासनिक नाकामी है।
याचिकाकर्ता का क्या है कहना
याचिका में मोनिका अग्रवाल का कहना है कि पहले उन्हें दिल्ली से नोएडा आने या जाने में सिर्फ 20 मिनट लगते थे। लेकिन उतनी ही दूरी तय करने में 2 घंटे लग रहे हैं। उनका कहना है कि लोकतंत्र में किसी के विरोध और प्रदर्शन के हक को छीना नहीं जा सकता है लेकिन यह तो देखना होगा कि किसी विरोध या प्रदर्शन से कोई दूसरा तो प्रभावित नहीं हो रहा है।
यूपी और हरियाणा सरकार बने पक्षकार
किसानों द्वारा रोड बाधित किए जाने के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और हरियाणा सरकार को पक्षकार बनाया है और यह साफ किया मुद्दा इससे संबंध नहीं रखता है कि कृषि कानूनों के बड़े मुद्दों को न्यायिक राजनीतिक या प्रशासनिक तरीकों से सुलझाया जाएय़ यह सिर्फ किसानों द्वारा बाधित सड़कों को खुलवाने से संबंधित है।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।