नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के आरोप में गिरफ्तार 14 में से दो आरोपियों की मेडिकल रिपोर्टें पेश नहीं करने पर मंडोली जेल प्रशासन को सोमवार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश बृजेश गर्ग ने जेल प्रशासन को पहले सोमवार तक दो आरोपियों की मेडिकल रिपोर्टें पेश करने का निर्देश दिया था। न्यायाधीश ने अधिकारियों से रिपोर्टें पेश नहीं करने का कारण मंगलवार तक स्पष्ट करने को कहा।
अदालत आरोपी युसूफ अली की चिकित्सा आधार पर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अली और अन्य आरोपियों को मंडोली जेल में रखा गया है। इस बीच, अदालत ने दो अन्य आरोपी साजिद और दानियाल की जमानत अर्जियों पर मंगलवार तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। 27 दिसंबर को अली की ओर से पेश हुए वकील जाकिर रज़ा और अब्दुल गफ्फार ने अदालत को बताया था कि वह ‘हाइपोथायरायडिज्म’ नाम की बीमारी से पीड़ित है जिस वजह से उसे मंडोली जेल में दौरे पड़ रहे हैं।
अली के वकील की ओर से अदालत में पेश किए गए उसके मेडिकल प्रमाण पत्र का अवलोकन करते हुए अदालत ने कहा कि आरोपी 23 दिसंबर से न्यायिक हिरासत में है और डॉक्टर मरीज को देखे बिना कैसे प्रमाण पत्र जारी कर सकते हैं? वकील ने कहा कि अली की बीमारी का इलाज डॉक्टर लंबे अरसे से कर रहे हैं, इसलिए वह उसकी चिकित्सकीय स्थिति से वाकिफ हैं।
अदालत अन्य आरोपी मोइनुद्दीन की जमानत अर्जी पर भी सुनवाई कर रही है। मोइनुद्दीन ने इस आधार पर जमानत देने की गुजारिश की है कि हिंसक प्रदर्शन के दौरान से कथित रूप से लगी चोट की वजह से उसे तत्काल ऑपरेशन कराना है। अदालत ने जेल प्रशासन को मोइनुद्दीन की मेडिकल रिपोर्ट भी पेश करने का आदेश दिया था। जब न्यायाधीश ने मोइनुद्दीन के वकील से उसकी चोट का कारण पूछा तो अधिवक्ता ने जवाब दिया था कि चोट कथित रूप से लाठीचार्ज की वजह से लगी है।
इस पर, पुलिस ने कहा कि वह प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से पेट्रोल बम फेंकने के दौरान जख्मी हुआ है। अदालत ने सीएए के खिलाफ उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर में हिंसक प्रदर्शन के सिलसिले में गिरफ्तार 14 लोगों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
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