नई दिल्ली। दो दिन पहले यानी 19 नवंबर को सुबह सुबह जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में एक ट्रक पर सवार चार आतंकी रोके गए। उनकी तरफ से गोलियां चलाई गईं। लेकिन सुरक्षाबलों ने उन्हें ढेर कर दिया। अब उस सिलसिले में एक एक कर जो जानकारियां सामने आ रही हैं वो चौंकाने वाली हैं। एनएसए अजीत डोभाल ने जो जानकारी दी उसके मुताबिक मारे गए जैश आतंरी मुंबई हमले जैसी वारदात की फिराक में थे। अब जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक आंतकियों में जो हैंडलर था वो मसूद अजहर का भाई था।
पुलवामा से बड़े आतंकी हमले की दी गई थी जिम्मेदारी
सरकारी अधिकारियों का जिस तरह से आईएसआई ने जैश ए मोहम्मद को पुलवामा अटैक की जिम्मेदारी दी थी, ठीक वैसे ही उसी स्केल के आतंकी हमले की जिम्मेदारी जैश को एक बार फिर दी गई और जिस शख्स को पूरे आतंकी ऑपरेशन की जिम्मेदारी दी गई थी वो कोई और नहीं बल्कि जैश सरगना मसूद अजहर का भाई अब्दुल रऊफ असगर था। अब्दुल रऊफ असगर ने पीओके स्थित शकरगढ़ कैंप से चार आतंकियों का चुनाव किया।
मसूद अजहर का भाई था हैंडलर
असगर के साथ साथ काजी तरार को भी योजना को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी दी गई थी, काजी तरार भी जैश के टॉप रैंक कमांडरों में शामिल था।
भारत में आतंकी वारदात को अंजाम दिए जाने से पहले इन दोनों की जैश के मुख्यालय बहावलपुर में एक बैठक हुई थी जिसमें मौलाना अबु जुंदाल के साथ साथ मुफ्ती तौसीफ शामिल और आईएसआई के दो बड़े अधिकारी भी शामिल हुए।
बहावलपुर में पहले हुई थी मीटिंग
जैश की शकरगढ़ यूनिट में प्रारंभिक योजना बनाए जाने के बाद भारत में आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए आतंकियों के सलेक्शन और ट्रेनिंग की तैयारी शुरू हुई। तारों आतंकियों को आत्मघाती हमले को अंजाम देने के अलावा भारतीय प्रतिष्ठानों को ज्यादा नुकसान पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई।
जैश के आतंकियों ने भारत में दाखिल होने के लिए सांबा सेक्टर में नालों और नदियों का सहारा लिए और सांबा से करीब 6 किमी दूर जटवाल में ट्रक पर सवार हुए। सूत्रों का कहना है कि जैश के आतंकी भारत में घुसपैठ के लिए ज्यादातर इसी रास्ते का इस्तेमाल करते रहे हैं। अगर शकरगढ़ के जैश के ट्रेनिंग कैंप को देखा जाए तो जिस इलाके में आतंकी सवार हुए उसकी एरियल दूरी महज 30 किमी है।
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