प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक में 28,000 करोड़ रुपए से अधिक की रेल और सड़क बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। पीएम मोदी ने कहा कि जो विकास कार्य 40 साल पहले हो जाने चाहिए थे, उन्हें पूरा करने का मौका मिला है। अगर ये काम उस समय पूरे हो जाते तो बेंगलुरु पर बोझ नहीं बढ़ता। इसलिए मैं समय बर्बाद नहीं करना चाहता और लोगों की सेवा में हर मिनट खर्च करना चाहता हूं। साथ ही उन्होंने अग्निपथ योजना का नाम लिए बैगर कहा कि कई फैसले, कई रिफॉर्म वर्तमान में अप्रिय लग सकते हैं। बाद में उन्हीं फैसलों से राष्ट्र निर्माण में मदद मिलती है। रिफॉर्म का रास्ता ही हमें नए लक्ष्यों और संकल्प की तरफ ले जाता है।
पीएम मोदी ने कर्नाटक में 5 नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट्स, 7 रेलवे प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास किया गया है। कोंकण रेलवे के शतप्रतिशत बिजलीकरण के महत्वपूर्ण पड़ाव के हम साक्षी बने हैं। ये सभी प्रोजेक्ट कर्नाटका के युवाओं, मध्यम वर्ग, किसानों, श्रमिकों, उद्यमियों को नई सुविधा देंगे, नए अवसर देंगे। बैंगलुरू, देश के लाखों युवाओं के लिए सपनों का शहर है। बैंगलुरू, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रतिबिंब है। बैंगलुरु का विकास, लाखों सपनों का विकास है। इसलिए बीते 8 वर्षों में केंद्र सरकार का ये निरंतर प्रयास रहा है कि बैंगलुरू के सामर्थ्य को और बढ़ाया जाए।
पीएम मोदी ने बैंगलुरु को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए रेल, रोड, मेट्रो, अंडरपास, फ्लाईओवर, हर संभव माध्यमों पर डबल इंजन की सरकार काम कर रही है। बैंगलुरू के जो सबअर्बन इलाके हैं, उनको भी बेहतर कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। भारतीय रेल अब तेज़ भी हो रही है, स्वच्छ भी हो रही है, आधुनिक भी हो रही है, सुरक्षित भी हो रही है और सिटिजन फ्रेंडली भी बन रही है। हमने देश के उन हिस्सों में भी रेल को पहुंचाया है, जहां इसके बारे में कभी सोचना भी मुश्किल था। भारतीय रेल अब वो सुविधाएं, वो माहौल भी देने का प्रयास कर रही है जो कभी एयरपोर्ट्स और हवाई यात्रा में ही मिला करती थीं।
पीएम मोदी ने भारत रत्न सर एम. विश्वेश्वरैया के नाम पर बैंगलुरू में बना आधुनिक रेलवे स्टेशन भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। बैंगलुरू ने ये दिखाया है कि सरकार अगर सुविधाएं दे और नागरिक के जीवन में कम से कम दखल दे, तो भारतीय युवा क्या कुछ नहीं कर सकते हैं। बैंगलुरू, देश के युवाओं के सपनों का शहर है और इसके पीछे उद्यमशीलता है, इनोवेशन है, पब्लिक के साथ ही प्राइवेट सेक्टर की सही उपयोगिता है। बीते दशकों में देश में कितनी बिलियन डॉलर कंपनियां बनी हैं, आप उंगलियों पर गिन सकते हैं।
पीएम मोदी ने लेकिन पिछले 8 साल में 100 से अधिक बिलियन डॉलर कंपनियां खड़ी हुई हैं, जिसमें हर महीने नई कंपनियां जुड़ रही हैं। मेरा साफ मानना है, उपक्रम चाहे सरकारी हो या फिर प्राइवेट, दोनों देश के असेट हैं, इसलिए लेवल प्लेइंग फिल्ड सबको बराबर मिलना चाहिए। यही सबका प्रयास है।
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