Shiv Sena Crisis: अचानक बागी नहीं हुए एकनाथ शिंदे, जानिए कब पड़े शिवसेना में बगावत के बीज ! 

देश
प्रीति नेगी
Updated Jun 25, 2022 | 11:48 IST

महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों घमासान मचा हुआ है और शिवसेना टूट के कगार पर हैं। बगावत पर उतरे एकनाथ शिंदे के पास 46 से ज्यादा विधायक होने का दावा किया जा रहा है।

Shiv Sena Crisis Eknath Shinde did not suddenly become a rebel, know the real reason of rebellion
एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद टूट के कगार पर पहुंची शिवसेना  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • महाराष्ट्र की राजनीति में गहराता जा रहा है सियासी संकट
  • एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद टूट के कगार पर पहुंची शिवसेना
  • शिंदे के मंत्रालय में लगातार बढ़ रहा था आदित्य ठाकरे का दखल

Maharashtra Political Crisis: इन दिनों महाराष्ट्र की राजनीति के साथ-साथ देश की राजनीति में भी एक नाम की चर्चा हर रोज हो रही है, एकनाथ शिंदे के कदम ने महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा सियासी संकट पैदा कर दिया है। शिवसेना के अधिकतर विधायक ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पहले सुरत में और अभी गुवाहटी में मौजूद है। ऐसा नहीं है की आज जो विद्रोह शिवसेना में देखने को मिल रहा है, वह एक-दो महीनों में पैदा हुआ है। जब शिवसेना ने एनसीपी-कांग्रेस के साथ सरकार बनाया, उस समय से ही कई विधायक नाराज चल रहे थे, लेकिन अपनी नाराजगी को बाहर आने नहीं दिया। 

विधायकों ने इसलिए फूंका विद्रोह का बिगुल

कहा जा रहा है कि कई ऐसे मंत्रालय जो कांग्रेस और एनसीपी नेताओं के पास थे, उन मंत्रालयों में शिवसेना के विधायकों की मांगो को अनसुना किया जा रहा था। इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को थी, लेकिन मुख्यमंत्री इन बातों को महत्व नहीं देते थे। शिवसेना विधायकों ने पार्टी मिंटिग में कई बार इस बात का जिक्र किया कि महा विकास अघाड़ी सरकार में शामिल एनसीपी और कांग्रेस के मंत्री उनके क्षेत्र में विकास कार्यों को प्रभावित करते है। विधायकों ने फंड नहीं मिलने का मामला भी उठाया था, लेकिन मुख्यमंत्री विधायकों से मिलते तक नहीं थे। बीते बजट सत्र के दौरान भी शिवसेना विधायकों एवं मंत्रियों ने मुख्यमंत्री के सामने यह सब समस्याएं रखी थी, फिर भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कुछ नहीं किया। 

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उद्धव की बढ़ती गई शिंदे से दूरियां

शिवसेना के कई विधायक अपनी परेशानी लेकर मुख्यमंत्री के पास आते थे, लेकिन मुख्यमंत्री के नहीं मिलने के कारण वह एकनाथ शिंदे के पास भी जाते थे और उनसे अपनी नाराजगी साझा करते थे। इस मौके ने ही शिंदे को कई शिवसेना विधायकों का विश्वासपात्र बना दिया। एकनाथ शिंदे को शहरी विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन उनके काम में बार-बार हस्तक्षेप भी उनके नाराजगी की बड़े वजहों में से एक है। कहा जा रहा है कि आदित्य ठाकरे और उनके करीबी दोस्त शिंदे के मंत्रालय के कामों में लगातार हस्तक्षेप कर रहे थे, इससे शिंदे और ठाकरे परिवार के बीच दूरियां बढ़ती गई। शिवसेना में सजंय राउत के बढ़ते कद को भी शिंदे की नाराजगी से जोड़ कर देखा जा रहा है। संजय राउत उद्धव ठाकरे के बाद शिवसेना में नंबर दो के पोजिशन पर मजूबत हो रहे थे, जिसका परिणाम यह हुआ की शिंदे ने शिवसेना विधायकों के साथ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया।

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