Shivpal Yadav follow PM Modi & CM Yogi: समाजवादी पार्टी के टिकट पर जसवन्त नगर से विधायक शिवपाल इन दिनों अपने भतीजे अखिलेश यादव से नाराज चल रहे हैं। इसलिए उनका अचानक भाजपा के प्रति प्रेम बढ़ने लगा है। शिवपाल सिंह यादव ने प्रधानमंत्री मोदी को ट्विटर पर फॉलो कर लिया है। इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को भी फॉलो किया है। उनके इस कदम ने एक बार चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है।
इससे पहले शिवपाल सिंह यादव प्रधानमंत्री और सीएमओ को ही फॉलो करते थे। शिपवाल सिंह यादव अब इन नेताओं को व्यक्तिगत तौर पर फॉलो कर रहे हैं।यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ही समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से उनकी बढ़ती खटास के कारण ही उन्होंने अपनी नई पार्टी बना ली। अब 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद वह फिर नई राह पर हैं।
शिवपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री से शिष्टाचार भेंट हुई है। भविष्य के फैसले पर कहा कि वक्त आने पर इसका खुलासा करेंगे। शिवपाल के इस रहस्यमयी बयान से सियासी गलियारों में चर्चा का दौर शुरू हो गया।
ज्ञात हो कि शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश यादव ने इटावा के जसवंतनगर से विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव जसवंतनगर से सपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे और बड़े वोट के अंतर से जीते। इसके बाद सपा ने जब उनको विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया तो उनके तेवर तल्ख होने लगे। 28 मार्च को समाजवादी पार्टी के सहयोगी दलों की बैठक से किनारा करने वाले शिवपाल सिंह यादव ने 29 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष के कमरे में विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ ली और मीडिया को अपने अगले कदम का इंतजार करने को कहा।
राजनीतिक गलियारों में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा शिवपाल को राज्यसभा भेज सकती है और जसवंतनगर सीट उनके बेटे आदित्य यादव को दे सकती है। इस बार शिवपाल सपा के चुनाव चिह्न् पर अपनी पारंपरिक जसवंतनगर सीट से छठी बार जीते हैं। शिवपाल यादव के भाजपा में जाने को लेकर केशव प्रसाद मौर्या ने उन पर टिप्पणी की थी। यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने यह कहकर सस्पेंस बढ़ा दिया था कि भाजपा में फिलहाल ऐसी कोई वैकेंसी नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी से शिवपाल की मुलाकात को सामान्य बताते हुए कहा है कि विपक्ष का कोई भी नेता उनसे मिल सकता है।
ज्ञात हो कि सपा के साथ गठबंधन करने के बाद शिवपाल को उम्मीद थी कि उनकी पार्टी के नेताओं को भी टिकट मिलेगा। उन्होंने कुछ नेताओं की सूची भी अखिलेष को सौंपी थी। लेकिन अखिलेश ने टिकट नहीं दिया। ऐसे में उपेक्षा का आरोप लगाते हुए प्रसपा के कई नेता दूसरे दलों में चले गए। लेकिन, ज्यादातर उनके साथ जुड़कर चुनाव अभियान में उतरे। इसके बाद भी शिवपाल को विधायक मंडल दल की बैठक में नहीं बुलाए जाने को वे अपनी उपेक्षा के तौर देख रहे हैं।
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