चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में राज्य के निवासियों को 75 फीसदी आरक्षण देने संबंधी हरियाणा सरकार के कानून पर गुरुवार को अंतरिम रोक लगा दी। इस फैसले से राज्य में काम कर रही निजी कंपनियों को बड़ी राहत मिली है। न्यायमूर्ति अजय तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज जैन की पीठ ने फरीदाबाद की इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और हरियाणा की एक अन्य एसोसिएशन की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। इन याचिकाओं में कानून की वैधता को चुनौती दी गयी थी।
हरियाणा के अतिरिक्ता महाधिवक्ता जगबीर सिंह मलिक ने कहा कि अदालत के आदेश को राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। अदालत का यह आदेश क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों के लिए राहत लेकर आया है, जिनका मानना था कि इस कानून का भविष्य में उनके कामकाज और निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव होगा।
हरियाणा राज्य स्थानीय अभ्यर्थी रोजगार कानून, 2020 राज्य के नौकरी पाने के इच्छुक लोगों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण देता है। यह कानून 15 जनवरी से प्रभावी हुआ है। यह आदेश 30,000 रुपये से अधिक मासिक वेतन पाने वालों पर लागू होगा।
राज्य के निवासियों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण, 2019 विधानसभा चुनावों में जननायक जनता पार्टी का प्रमुख चुनावी घोषणा था। चुनाव के बाद जजपा ने राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार बनायी है।
उच्च न्यायालय से अंतरिम स्थगनादेश मिलने के बाद उपमुख्यमंत्री व जजपा नेता दुष्यंत चौटाला ने ट्वीट किया कि हम हरियाणा के युवाओं के रोजगार अवसरों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। 75 फीसदी आरक्षण।
यह कानून हरियाणा में स्थित निजी क्षेत्र की कंपनियों, सोसायटियों, ट्रस्ट, साझेदारी वाली लिमिटेड कंपनियों, साझेदारी फर्म, 10 से ज्यादा लोगों को मासिक वेतन/दिहाड़ी पर नौकरी देने वाले कार्यालयों, विनिर्माण क्षेत्र आदि पर लागू होता है।
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