नई दिल्ली : सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने कोविशील्ड (Covishield) वैक्सीन का इस्तेमाल बूस्टर डोज के रूप में किए जाने के लिए देश के ओषधि नियामक से मंजूरी मांगी है। सीआईआई का कहना है कि उसके पास वैक्सीन का पर्याप्त भंडार है। समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में सीआईआई के अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 के नए वैरिएंट ओमीक्रोन के बढ़ते खतरे को देखते हुए ड्रग नियामक के समक्ष यह मांग की गई है। कोरोना महामारी के इलाज में बूस्टर डोज के इस्तेमाल की मांग करने वाली सीआईई देश की पहली कंपनी बन गई है।
केंद्र सरकार ने संसद को बताया है कि टीकाकरण पर राष्ट्रीय एक्सपर्ट ग्रुप एवं प्रतिरक्षण पर राष्ट्रीय तकनीकि परामर्श समूह बूस्टर डोज पर वैज्ञानिक साक्ष्यों को देख रहा है। ओमीक्रोन वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए राज्यों की तरफ से बूस्टर डोज लगाए जाने की मांग बढ़ी है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक एवं केरल जैसे राज्यों ने केंद्र सरकार से बूस्टर डोज की दिशा में बढ़ने की अपील की है।
हाल ही में एसआईआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अडार पूनावाला ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिक आने वाले महीने में एक नई वैक्सीन के साथ सामने आ सकते हैं। इस वैक्सीन का इस्तेमाल बूस्टर डोज के रूप में किया जा सकता है।
बता दें कि कोरोना के नए वैरिएंट बी.1.1.529 जिसे डब्ल्यूएचओ ने ओमीक्रोन नाम दिया है, काफी संक्रामक माना जा रहा है। इस वायरस की पहचान सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में हुई। बताया जा रहा है कि यह वायरस अपनी स्पाइक प्रोटीन में बहुत तेजी से बदलाव कर रहा है। दरअसल, चिंता करने वाली बात यह है कि वायरस पूर्ण रूप से टीका लगे व्यक्तियों को भी संक्रमित कर रहा है।
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