दिल्ली के बॉर्डर से किसानों की वापसी के बाद आज पहली बार संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग सिंघु बॉर्डर पर हुई। आंदोलन स्थगन के बाद कई किसान संगठनों द्वारा चुनाव में शामिल होने की घोषणा के बाद उन्हें संयुक्त किसान मोर्चा से बेदखल करने का फैसला लिया गया है। आज प्रेस कांफ्रेंस करके संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हम एक अराजनीतिक संगठन है और हमारा राजनीति से कोई लेना देना नहीं है।
इस साल की पहली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक आज सिंघु बॉर्डर पर हुई। बैठक में केंद्र सरकार द्वारा किए गए वादों की समीक्षा की गई। संयुक्त किसान मोर्चा में यह तय हुआ की सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की मांग ना मानकर, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस ना लेकर वादाखिलाफी की है. इसके विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा 31 जनवरी को देश भर के जिले और तहसीलों के केंद्र पर वादाखिलाफी दिवस मनाएगी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा की सरकार के लिखित आश्वासन के बावजूद एमएसपी पर कमेटी, किसानों पर हुए मुकदमे की वापसी, बिजली संशोधन कानून पर चर्चा और मृत किसानों को मुआवजा जैसी मांगों पर सरकार ने कोई काम नहीं किया. बैठक में कहा गया कि सरकार द्वारा लंबित मांगों पर कोई काम ना करने से किसानों के अंदर नाराजगी है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने 11 दिसंबर को अपना आंदोलन स्थगित किया था और उसके बाद से दिल्ली के तमाम सीमाओं पर बैठे किसानों ने घर वापस जाना शुरू कर दिया था।
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