नई दिल्ली। यूपी विधान सभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। एक तरफ जहां भाजपा ने निषाद पार्टी और अपना दल के साथ गठबंधन का ऐलान कर दिया है। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने साफ कर दिया है, कि वह किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। जबकि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने छोटे दलों के साथ गठबंधन करने की बात कही है। ऐसा माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन हो करीब-करीब तय है। इसके अलावा अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव भी उनसे गठबंधन करना चाहते हैं। जिसके लिए वह बार-बार अखिलेश से गठबंधन पर स्थिति साफ करने को कह रहे हैं। लेकिन अखिलेश यादव ने अभी तक किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। साफ है कि अखिलेश अभी मोल-भाव कर रहे हैं। इसकी वजह से औपचारिक ऐलान करने से वह परहेज कर रहे हैं।
पश्चिमी यूपी में फंसा पेंच
सूत्रों के अनुसार गठबंधन को लेकर अखिलेश यादव के लिए पश्चिमी यूपी परेशानी बन रहा है। असल में जिस तरह से वहां पर किसान आंदोलन को जाट समुदाय का समर्थन मिला है। उसकी वजह से वहां पर राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी को बड़ी उम्मीदें दिखने लगी है। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर भी अपनी आजाद समाज पार्टी के लिए बड़ी जगह चाह रहे हैं। ऐसे में अखिलेश यादव के सामने सीटों के बंटवारे के लोकर दिक्कत आ रही है। इसको लेकर जयंत चौधरी और चंद्रशेखर के साथ अखिलेश यादव कई बैठकें भी कर चुके हैं।
आरएलडी के एक सूत्र के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 100-120 विधान सभा सीटें हैं, जहां पर राष्ट्रीय लोक दल का असर है। ऐसे में पार्टी को 50-60 सीटें तो मिलनी ही चाहिए। हालांकि अखिलेश इतनी सीटों को देने के लिए तैयार नही हैं। अभी जो सीटें का ऑफर है, वह काफी कम है। जिसकी वजह से मामला फंसा हुआ है। राष्ट्रीय लोक दल 2017 में भी ऐन वक्त पर सीटों का बंटवारा नहीं होने पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन से अलग हो गया था। उस वक्त उसे करीब 25 सीटों का ऑफर दिया गया था। जिसे तत्तकालीन अध्यक्ष अजीत सिंह ने स्वीकार नहीं किया था और राष्ट्रीय लोक दल अकेले चुनाव लड़ी थी। 2017 में उसे केवल एक सीट मिली थी।
शिवपाल यादव ने दी 11 अक्टूबर की डेडलाइन
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव को 11 अक्टूबर की डेडलाइन दी है। उन्होंने कहा है कि वह गठबंधन पर स्थिति साफ करें। अगर डेडलाइन तक वह स्थिति स्पष्ट नहीं करते हैं, तो वह दूसरा रास्ता अपनाएगा। इसी कड़ी में बीते बुधवार को भागदीरी संकल्प मोर्चा के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर, एआईएमआईएम प्रमुख असददुद्दीन ओवैसी और आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर की शिवपाल यादव के साथ बैठक हुई है। साफ है कि अगर समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं होता है तो छोटे दलों का एक बड़ा मोर्चा बन सकता है।
सूत्रों के अनुसार समाजवादी पाार्टी गठबंधन में देरी खास रणनीति की तहत कर रही हैं। उसे लगता है कि अभी से गठबंधन करने पर पार्टी ज्यादा मोल-भाव नहीं कर पाएगी। चुनाव नजदीक आते समय पार्टी के लिए दूसरों दलों के अपने अनुसार तैयार करना आसान होगा। और उन्हें कम सीटें देनी पड़ेगी। 2017 के चुनावों में समाजवादी पार्टी ने 298 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इसमें से उसे 47 सीटें मिली थी। पार्टी का उस समय कांग्रेस के साथ गठबंधन था।
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