नई दिल्ली: बोलने और सुनने में अक्षम पहलवान वीरेंद्र सिंह दिल्ली में हरियाणा भवन के बाहर बैठे हैं। उनकी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मांग है कि उनके जैसे राज्य के बधिर खिलाड़ियों को पैरा-एथलीट के रूप में मान्यता दी जाए। वीरेंद्र सिंह को कल पद्म श्री पुरस्कार भी मिला है।
मुख्यमंत्री खट्टर ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं देते हुए ट्वीट किया और कहा कि यह समस्त प्रदेशवासियों के लिए गर्व की बात है कि हरियाणा के बेटे व फ्री-स्टाइल रेसलिंग के पैरा पहलवान श्री वीरेन्द्र सिंह जी को 'पद्मश्री' पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इस अवॉर्ड के लिए उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
इस पर वीरेंद्र सिंह ने जवाब दिया कि मुख्यमंत्री जी आप मुझे पैरा खिलाड़ी मानते है तो पैरा के समान अधिकार क्यों नहीं देते? पिछले चार वर्ष से दर-दर की ठोंकरे खा रहा हूं। मैं आज भी जूनियर कोच हूं और न ही समान केश, अवॉर्ड दिया गया। कल इस बारे मे मैंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से बात की हैं। अब फैसला आपको करना है!
उन्होंने एक और ट्वीट में कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी आपके आवास दिल्ली हरियाणा भवन के फुटपाथ पर बैठा हूं और यहां से जब तक नहीं हटूंगा जब तक आप हम मूक-बधिर खिलाड़ियों को पैरा खिलाड़ियों के समान अधिकार नहीं देंगे, जब केंद्र हमें समान अधिकार देती है तो आप क्यों नहीं?
वीरेंद्र सिंह के भाई रामबीर ने कहा कि वह पैरा-एथलीटों की तरह बधिर खिलाड़ियों के लिए प्रोत्साहन और सरकारी नौकरियों के लिए वर्षों से हरियाणा के मंत्रियों का दौरा कर रहे हैं। 2017 में राज्य सरकार ने उनके लिए 6 करोड़ रुपए के प्रोत्साहन की घोषणा की, जो अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। ग्रेड ए की नौकरी की घोषणा की गई थी, नहीं मिली। उसके पास ग्रेड सी की नौकरी है।
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