नई दिल्ली : अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं। इस निर्णय ने दोनों समुदायों के सम्मान को बनाए रखा है। इसमें न किसी की जीत है, न किसी कि हार है, बल्कि इससे भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है।
श्री श्री रविशंकर ने कहा कि यह मामला लंबे समय से चल रहा था और आखिरकार हम निष्कर्ष पर पहुंच चुके हैं। समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखा जाना चाहिए।
आध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए शनिवार को कहा कि इससे हिंदू तथा मुस्लिम समुदायों के सदस्यों को ‘खुशी तथा राहत’ मिली है।
रविशंकर उच्चतम न्यायलय द्वारा इस विवाद के मैत्रीपूर्ण हल के लिए पहले नियुक्त की गयी मध्यस्थता समिति का हिस्सा थे।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं तहे दिल से माननीय उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करता हूं। इससे दोनों समुदाय के लोगों को खुशी और लंबे समय से चल रहे विवाद से राहत मिली है।’
देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर मामले में ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। फैसला सुनाने से पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने करीब आधे घंटे तक हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की जिरह को एक एक कर रखा फिर अंतिम फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में बताया कि फैसला पढ़ने के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि मुस्लिम पक्षकार अपने दावे को साबित करने में कामयाब नहीं रहे।
फैसले के मुताबिक अयोध्या में विवादित जमीन पर राम मंदिर बनेगा। सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में पांच एकड़ जमीन मिलेगी।
अयोध्या मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश गलत।
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट बनेगा, केंद्र को तीन महीने का दिया गया समय। पांच न्यायाधीशों की पीठ ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की एसएलपी को सिरे से खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित परिसर के बाहरी अहाते में रामचबूतरा था जहां पर हिंदू समाज के लोग पूजा किया करते थे।।
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