Srinagar : श्रीनगर के हरि पर्वत किले पर इस बार लहराएगा 100 फीट ऊंचा तिरंगा 

Hari Parbat: हरि पर्वत को कोह-ए-मारन के नाम से भी जाना जाता है। यह किला श्रीनगर की डल झील के पश्चिम में स्थित है। जिला प्रशासन के मुताबिक इस किले का निर्माण 18वीं सदी में अफगान गवर्नर अता मोहम्मद खान ने कराया।

Srinagar : 100 feet tall Tricolour to be installed at Hari Parbat fort
श्रीनगर के हरि पर्वत पर लहराएगा 100 फीट ऊंचा तिरंगा। तस्वीर सौजन्य-srinagar.nic  
मुख्य बातें
  • इस बार श्रीनगर के हरि पर्बत किले पर नजर आएगा 100 फीट ऊंचा तिरंगा
  • फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने इस बारे में जारी किया है प्रस्ताव
  • ऊंचाई पर स्थित है हरि पर्वत किला, यहां से स्पष्ट रूप से दिखती है डल झील

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर सरकार ने श्रीनगर के ऐतिहासिक हरि पर्वत किले पर 100 फीट ऊंचा तिरंगा लगाने का फैसला किया है। सोमवार को एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि 'कश्मीर के डिविजनल कमिश्नर ने सभी प्रतिभागियों को स्वागत करते हुए सूचित किया कि पिछले कुछ महीनों में सभी डिप्टी कमिश्नर एवं एचओडी को फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 के अनुरूप राष्ट्रध्वज फहराने का निर्देश दिया गया है। अधिकारियों से कहा गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि राष्ट्रध्वज फहराने में फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 का उल्लंघन न हो।' फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने 24 फीटX36 फीट का राष्ट्रध्वज फरहाने का प्रस्ताव पेश किया है। 

अता मोहम्मद खान ने कराया किले का निर्माण
हरि पर्वत को कोह-ए-मारन के नाम से भी जाना जाता है। यह किला श्रीनगर की डल झील के पश्चिम में स्थित है। जिला प्रशासन के मुताबिक इस किले का निर्माण 18वीं सदी में अफगान गवर्नर अता मोहम्मद खान ने कराया। बाद में 1590 में बादशाह अकबर ने किले में एक लंबी दीवार का निर्माण कराया। इस किले से डल झील की खूबसूरती देखते बनती है। किले की देख-रेख एवं रखरखाव भारतीय पूरातत्व विभाग (एएसआई) करता है। हरि पर्वत किले के प्राचीन खंभे इसके सौंदर्य को और बढ़ाते हैं। यहां से मखदूम साहिब की दरगाह भी अच्छी तरह दिखती है।  

पर्वत पर पार्वती मंदिर भी स्थित है 
ऊंचाई पर स्थित होने के नाते यह किला श्रीनगर के सभी इलाके से नजर आता है। इस पर्वत की पश्चिमी ढलान पर भगवती पार्वती का मंदिर है। इस किले पर आने के लिए पर्यटकों को पुरातत्व विभाग से अनुमति लेनी होती है। पौराणिक काल की मान्यता है कि यहां एक बड़ी झील हुआ करती थी जिस पर जालोभाव नाम के दैत्य का अधिकार था। इस पर्वत पर एक गुरुद्वारा भी स्थित है।  

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