लंपी में मारे गए जानवरों के निस्तारण में कोविड जैसी गम्भीरता दिखाएं राज्य 

देश
कुंदन सिंह
कुंदन सिंह | Special Correspondent
Updated Sep 09, 2022 | 18:20 IST

मंत्रालय के सूत्रों की माने तो लंपी से बचाव के लिए मवेशियों को टीका देने का काम तेजी से चल रहा है। फिलहाल मवेशियों को गॉटपॉक्स टीका दिया जा रहा है लेकिन महाराष्ट्र जैसे राज्य में 3 ML और उप्र में 1 ML टीका देने पर कई सरकारी और निजी पशु चिकित्सकों में असमंजस की स्थिति है।

State should show seriousness like Kovid in disposal of animals killed in Lumpi
लंपी में मारे गए जानवरों के निस्तारण में कोविड जैसी गम्भीरता दिखाएं राज्य । 

मवेशियों को होने वाली लंपी बीमारी के मामले अब राजस्थान ,गुजरात, पंजाब, उप्र के अलावा आंध्रा प्रदेश में भी मामले सामने आ रहे हैं। इधर इसके बचाव के टिके से लेकर लंपी से मरने वाले मवेशियों के शव के निस्तारण को लेकर तमाम तरह की शंकाएं पशुपालको के बीच हैं, आखिर जनाकर क्यों लंपी बीमारी में कोविड जैसे प्रोटोकॉल अपनाने को बोल रहे हैं जिसे इस बीमारी को महामारी बनने से रोका जा सके।

मौजूदा समय की आंकड़े की बात करे तो फिलहाल लंपी  बीमारी ने 12 लाख से ज्यादा लाइव स्टॉक को अपनी चपेट में ले रखा है...लंपी की बीमारी अब वेस्ट से धीरे धीरे सेंट्रल इंडिया होते हुए अब दक्षिणी राज्य आंध्रप्रदेश में भी पैर पसार रही है। लेकिन राजस्थान में लंपी से मरे मवेशियों की ये तस्वीरें वायरल होने के बाद अब सरकारी आंकड़ों पर सवाल उठ रहे हैं... राजस्थान में लंपी से मरे मवेशियों के शवों को फेंकने पर केंद्र सरकार ने फटकार भी लगाई है। केंद्रीय पशु और मत्स्य मंत्रालय ने इसको लेकर प्रॉपर प्रोटोकॉल सुझाया है। जिससे मरे हुए पशु संक्रमण की वजह ना बने।

मंत्रालय के सूत्रों की माने तो लंपी से बचाव के लिए मवेशियों को टीका देने का काम तेजी से चल रहा है। फिलहाल मवेशियों को गॉटपॉक्स टीका दिया जा रहा है लेकिन महाराष्ट्र जैसे राज्य में 3 ML और उप्र में 1 ML टीका देने पर कई सरकारी और निजी पशु चिकित्सकों में असमंजस की स्थिति है। हालांकि पशुपालन मंत्री का कहना है किस जहां रोग का प्रसार ज्यादा है वहीं केवल 3 ML का टाका दे रहे हैं। बाकी स्थानों पर 1ml टिका काफी है 

सरकार लंपी बीमारी के मद्देनजर युद्ध स्तर पर टीकाकरण करने की बात कह रही है दूसरी तरफ कई राज्यों में पशु चिकित्सकों की भारी कमी है। उप्र में 600 और राजस्थान में 1200 पशु चिकित्सकों कम है।  भारत दूध उत्पादन में दुनिया भर में अव्वल होने के बावजूद हम दूध से बने प्रॉडक्ट का महज 1 फीसदी ही निर्यात कर पाते हैं। अब विदेशों में निर्यात का सरकारी लक्ष्य तो भारीभरकम है लेकिन उसके लिए जरुरी फंड और पशुओं की बीमारी से निपटने वाले चिकित्सकों की भारी कमी है। 

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर