छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ तनातनी में फंसे राज्य सरकार के मंत्री टी. एस. सिंहदेव ने शनिवार को पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। अपने चार पन्ने के इस्तीफे में सिंहदेव ने संकेत दिया है कि उन्हें सरकार में दरकिनार किया जा रहा है, हालांकि वह अन्य चार मंत्रालयों का पदभार संभालते रहेंगे।छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिंहदेव ने शनिवार को पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया है।
सिंहदेव ने कहा कि उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, वह लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्रीय कार्यान्वयन और वाणिज्यिक कर (GST) विभाग के मंत्री बने रहेंगे।मंत्री सिंहदेव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सौंपे चार पन्नों के इस्तीफे में विभाग और सरकार के कामकाज पर असंतोष जाहिर किया है।
बघेल को भेजे गए इस्तीफे सिंहदेव ने कहा है, 'मैं पिछले तीन साल से अधिक समय से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भारसाधक मंत्री के रूप में काम कर रहा हूं। इस दौरान कुछ ऐसी परिस्थितियां बनीं, जिनसे मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं।' सिंहदेव ने लिखा है, ‘‘प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश के आवास विहीन लोगों को मकान बनाकर दिया जाना था जिसके लिए मैंने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आवंटित करने का अनुरोध किया, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस कारण राज्य के करीब आठ लाख लोगों के लिए मकान नहीं बन सके। मुझे दुःख है कि इस योजना का लाभ प्रदेश के आवास विहीन लोगों को नहीं मिल सका।'
मंत्रालय के कामकाज के संबंध में सिंहदेव ने कहा, 'किसी भी विभाग में विवेकाधीन योजनाओं के तहत काम की स्वीकृति का अनुमोदन उस विभाग के भारसाधक मंत्री का अधिकार होता है। लेकिन मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के तहत कार्यों की अंतिम स्वीकृति के लिए 'रूल्स ऑफ बिजनेस' के विपरीत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में साचिवों की एक समिति गठित की गयी। कार्यों की स्वीकृति के लिए मंत्री के अनुमोदन उपरांत अंतिम निर्णय मुख्य सचिव की समिति द्वारा लिए जाने की प्रक्रिया बनाई गई जो प्रोटोकॉल के विपरीत और सर्वथा अनुचित है। लेकिन बार-बार लिखित आपत्ति दर्ज कराने के बावजूद इस सिलसिले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।'
सिंहदेव ने अपने इस्तीफा में पेसा कानून को लेकर बनाए गए नियमों में बदलाव पर भी आपत्ति जतायी है और कहा कि इसमें भारसाधक मंत्री को विश्वास में नहीं लिया गया है।इस्तीफे में मंत्री ने कहा है, 'जन घोषणा-पत्र में किए गए वादों में पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों को पूर्ण रूप से लागू करना शामिल था। इसके लिए मैंने आपसे कई बार चर्चा की, विभागीय पहल भी की लेकिन इसपर अभी तक कोई सहमति/सकारात्मक पहल नहीं हो पायी है।'
सिंहदेव ने आरोप लगाया है कि एक साजिश के तहत मनरेगा का कामकरने वाले रोजगार सहायकों से हड़ताल करवाकर राज्य में मनरेगा के कार्यों को प्रभावित किया गया जिसमें सहायक परियोजना अधिकारियों (संविदा) की भूमिका स्पष्ट रूप से सामने आयी है।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा है, 'आपने खुद हड़तालरत कर्मचारियों की मांगें पूरी करने के लिए एक कमेटी गठित की, लेकिन हड़ताल वापस नहीं ली गई। इस कारण करीब 1250 करोड़ रुपए का मजदूरी भुगतान प्रभावित हुआ और धन ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नहीं पहुंच सका।'
सिंहदेव ने इस्तीफा में कहा है, 'जन-घोषणा पत्र के विचार धारा के अनुरूप उपरोक्त महत्वपूर्ण विषयों को दृष्टिगत रखते हुए, मेरा यह मत है कि विभाग के सभी लक्ष्यों को समर्पण भाव से पूर्ण करने में वर्तमान परिस्थितियों में स्वयं को असमर्थ पा रहा हूं। अतएव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भार से मैं अपने आप को पृथक कर रहा हूं। आपने मुझे शेष जिन विभागों की जिम्मेदारी दी है उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता और निष्ठा से निभाता रहूंगा।'
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