कारगिल की पहाड़ियों पर लिखी है सेना की वीरगाथा, इन हथियारों ने पाक सैनिकों के छुड़ा दिए पसीने 

देश
आलोक राव
Updated Jul 26, 2022 | 06:10 IST

Kargil War 1999 : पाकिस्तान से मिले धोखे से भारत हैरान था लेकिन जैसे ही उसे स्थिति की गंभीरता का अहसास उसने पलटवार करना शुरू किया। एक बार भारतीय सेना कारगिल सेक्टर में जो दाखिल हुई, फिर पाकिस्तानी सैनिकों का काम तमाम करने के बाद ही वापस लौटी।

story of Valour is written on hills of Kargil, weapons that made Pakistani soldiers loser
कारगिल युद्ध को हुए 23 साल हो गए हैं। -IAF  |  तस्वीर साभार: Twitter

Kargil war : 1999 का कारगिल युद्ध भारतीय सेना के पराक्रम, शौर्य एवं सर्वोच्च बलिदान की उत्कृष्ट मिसाल है। तो पाकिस्तान के लिए यह युद्ध उसकी नापाक सोच, गद्दारी, पीठ में छुरा घोंपने की उसकी पारंपरिक सोच को दर्शाता है। युद्ध चाहे जिस प्रकार का हो, चाहे किसी देश पर हमला किया जाय या सरहद की सुरक्षा में लड़ा जाए, युद्ध में सैनिकों की शहादत देनी पड़ती है। इस युद्ध में भारत ने अपने सैकड़ों रणबांकुरे खोए। करीब 80 दिनों तक (तीन मई से 26 जुलाई तक) चले इस युद्ध में भारतीय सेना के जवानों ने कारगिल की पहाड़ियों पर अपने शौर्य-पराक्रम की जो वीरगाथा लिखी वह आज भी देशवासियों को प्रेरित करता है। इस युद्ध को हुए आज 23 साल पूरे हो गए हैं। 

पाकिस्तान से मिले धोखे से भारत हैरान था लेकिन जैसे ही उसे स्थिति की गंभीरता का अहसास उसने पलटवार करना शुरू किया। एक बार भारतीय सेना कारगिल सेक्टर में जो दाखिल हुई, फिर पाकिस्तानी सैनिकों का काम तमाम करने के बाद ही वापस लौटी। कारगिल का युद्ध दुनिया की सबसे ऊंची जगहों में से लड़े गए युद्धों में से एक था। यहां युद्ध लड़ना और पहाड़ों की ऊंची चोटियों पर पहले से बैठे आतंकियों एवं घुसपैठियों को मार भगाना और चोटियों पर दोबारा काबिज होना आसान काम नहीं था। इन आतंकियों एवं घुसपैठियों की भेष में पाकिस्तानी सेना के जवान भी थे जो घुसपैठियों की मदद कर रहे थे। 

तोलोलिंग, टाइगर हिल पर आसान नहीं थी लड़ाई

तोलोलिंग, टाइगर हिल जैसी ऊंची चोटियों पर दोबारा कब्जा करने आसान नहीं था। ऊपर बैठे दुश्मन के लिए भारतीय फौज को निशाना बनाना आसान था। भारतीय सेना के जवान पहाड़ियों पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ते तो थे लेकिन उन्हें ऊपर से भारी फायरिंग का सामना करना पड़ता था। इसमें बड़ी संख्या में सैनिकों को हताहत होना पड़ा।चोटियों पर बैठे और बंकर में छिपे पाकिस्तानियों को भगाने एवं मारने के लिए उन पर ऊपर से वार करना जरूरी था। अभियान की इस जरूरत को देखते हुए वायु सेना को युद्ध में उतारा गया। कारगिल में वायु सेना ने अपना अभियान ऑपरेशन सफेद सागर के नाम से चलाया। वायु सेना के मिग-21 एवं मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने पहाड़ों पर छिपे दुश्मनों पर सटीक एवं करारा प्रहार किया। इस युद्ध में भारत की तरफ से मोटे तौर पर इन हथियारों का इस्तेमाल किया गया-

सेना के हथियार

  • पिनाका मल्टी बैरल लांचर
  • एनसास राइफल 
  • कार्ल गुस्ताफ रॉकेट लांचर
  • बोफोर्स तोप
  • कार्बाइन 2 ए 1
  • एके-47

वायु सेना

  • मिग 21
  • मिग 23
  • जगुआर
  • मिराज 2000

वायु सेना लड़ाई की तस्वीर बदल दी
वायु सेना के हमलों ने देखते ही देखते युद्ध की पूरी तस्वीर बदल दी। पाकिस्तान को यह उम्मीद नहीं थी कि भारत युद्ध में अपनी वायु सेना उतार देगा। लड़ाकू विमानों ने सेना का काम आसान कर दिया। नीचे से फौज और ऊपर से वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने दुश्मन की कमर तोड़ दी, उन्हें युद्ध से भागने के लिए मजबूर कर दिया। पाकिस्तानी फौज के सैनिक जो इस युद्ध में हिस्सा ले रहे थे, वे नियंत्रण रेखा की तरफ मौजूद अपने आकाओं से मदद मांगते रह गए लेकिन उन्हें मदद नहीं मिली। उन्हें मरने और भागने के लिए छोड़ दिया गया। कारगिल युद्ध में भारत के करीब 500 सैनिक शहादत को प्राप्त हुए तो पाकिस्तान के 1600 सैनिक मारे गए। हालांकि, इन आंकड़ों पर दावे अलग-अलग भी हैं। 

मुशर्रफ के दिमाग की उपज था कारिगल युद्ध
कारगिल की चोटियों पर कब्जा करने की साजिश जनरल परवेज मुशर्रफ ने अपने अन्य जनरलों के साथ मिलकर रची थी। यह अलग बात थी कि उनकी यह साजिश सफल नहीं हुई। दरअसल, सर्दी के दिनों में भारतीय फौज ऊंचाई वाली जगहों से थोड़ा पीछे आ जाती थी। इस बात की जानकारी पाकिस्तान को पहले से थी लेकिन उसने इस तरह का दुस्साहस पहले नहीं किया। मुशर्रफ जब सेना प्रमुख बने तो उन्होंने कारगिल का ताना-बाना बुना। तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी फरवरी 1999 में जब लाहौर दौरे पर थे तो उस समय पाकिस्तानी सेना कारगिल में बंकर तैयार कर रही थी। एक तरफ पीएम नवाज शरीफ अपने भारतीय समकक्ष के साथ शांति एवं दोस्ती की झूठी इबारत लिख रहे थे तो मुशर्रफ गद्दारी की पटकथा तैयार कर रहे थे। कई लोगों का मानना है नवाज को भी कारगिल की साजिश की जानकारी पहले से थी। बहरहाल, इस बारे में कोई प्रामाणिक तथ्य उपलब्ध नहीं है। 

भारत को एक टीस देना चाहते थे मुशर्रफ
दरअसल, भारत ने एक समय सियाचिन में पाकिस्तान को पटखनी देते हुए एक भू-भाग अपने अधीन कर लिया था। इसकी कसक पाकिस्तानी जनरलों को हमेशा रही। पाकिस्तानी पत्रकार नजम सेठी का दावा है कि मुशर्रफ भारत को भी इसी तरह की एक टीस देना चाहते थे। वह कारगिल पर अपना कब्जा करने के बाद भारत के साथ मोल-भाव करने का इरादा रखते थे। सेठी का कहना है कि मुशर्रफ ने प्लान तो बढ़िया बनाया था लेकिन भारत इस तरह से पलटवार कर देगा उन्हें इस बात का इल्म नहीं था। भारत के हमले के बाद जनरल को मुंह की खानी पड़ी।     

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