नई दिल्ली : चीन के विरोध को दरकिनार करते हुए भारत ने मालाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने का औपचारिक न्योता भेज दिया है। यह पहला मौका होगा जब क्वाड के चार देशों भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की नौ सेनाएं अगले महीने नवंबर बंगाल की खाड़ी-अरब सागर में समुद्री युद्धाभ्यास का हिस्सा होंगी। इस युद्धाभ्यास से चीन की बेचैनी बढ़नी तय है। क्वाड देशों के इस युद्धाभ्यास के जरिए भारत चीन को एक तरह से स्पष्ट संदेश देना चाहता है कि उसकी आक्रामकता के दिन लद गए हैं और सामुद्रिक नौवहन के क्षेत्र में दबदबा बनाए रखने की उसकी चाल अब नहीं चलेगी।
BECA को अंतिम रूप देगा भारत
इसके अलावा भारत इसी महीने अमेरिका के साथ बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन अग्रीमेंट (BECA)को अंतिम रूप देने की कोशिश करेगा। इस महीने के अंत में यानि 26 और 27 अक्टूबर को दिल्ली में भारत और अमेरिका के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की बैठक होनी है। सूत्रों का कहना है कि दोनों देशों के 2+2 बैठक से पहले भारत BECA समझौते को अंतिम रूप दे सकता है। जाहिर है कि मालाबार युद्धाभ्यास और अमेरिका के साथ रक्षा करार से चीन के मंसूबों को झटका लगेगा।
क्षेत्र में चीन के दबदबे को मिलेगी चुनौती
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि मालाबार युद्धाभ्यास और अमेरिका के साथ BECA करार भारतीय सामरिक हितों के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। चीन जो कि हिंद प्रशांत और दक्षिण चीन सागर में अपना दबदबा बनाए रखना चाहता है लेकिन इस युद्धाभ्यास से उसे चुनौती मिलेगी। BECA करार हो जाने के बाद भारत अमेरिकी सेना से मिलने वाले जियोस्पैटियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर सकेगा। इससे भारतीय मिसाइलों एवं ड्रोन जैसे हथियारों की मारक सटीकता और बढ़ जाएगी। गत फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने BECA पर जल्द करार करने पर सहमति जताई थी। अमेरिका के साथ भारत के दो महत्वपूर्ण रक्षा करार कोमकासा और लेमोआ हो चुके हैं। बेका के बाद अमेरिका के साथ रक्षा करारों का अब 'त्रिकोण' बन जाएगा।
एक बार फिर सक्रिय हुआ है क्वाड
भारत ने सोमवार को कहा कि नवंबर में होने वाले मालाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया भी हिस्सा होगा। साल 2017 के बाद से क्वाड एक बार फिर सक्रिय हुआ है। मालाबार युद्धभ्यास में अब तक अमेरिका, भारत और जापान की नौसेनाएं शामिल होती रही हैं। पिछले साल यह युद्धाभ्यास सितंबर में जापान में हुआ था। इस युद्भास में नौसेनाएं अपना युद्धकौशल और वार गेम का प्रदर्शन करती हैं। मालाबार युद्धाभ्यास ऐसे समय होने जा रहा है जब लद्दाख में चीन और भारत की सेना आमने-सामने हैं। सीमा पर शांति कायम करने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है लेकिन जमीनी हालात पर इस बातचीत का असर नहीं दिखा है।
सीमा पर जारी है चीन के साथ तनाव
भारत द्वारा नौसेना युद्धाभ्यास में शामिल होने के ऑस्ट्रेलियाई अनुरोध को ऐसे समय स्वीकार किया गया जब पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा को लेकर तनाव बढ़ा हुआ है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीमा के हालात पर पिछले सप्ताह कहा कि एलएसी पर 'गंभीर सुरक्षा चुनौती' बनी हुई है। जयशंकर का यह बयान बताता है कि बातचीत के बावजूद हालात में बदलाव नहीं हुए हैं। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'भारत समुद्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है और ऑस्ट्रेलिया के साथ रक्षा के क्षेत्र में बढ़ते सहयोग की पृष्ठभूमि में मालाबार-2020 नौसेना युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलियाई नौसेना की भागीदारी देखने को मिलेगी।'
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