नई दिल्ली: यूक्रेन से लौटे छात्र अपने माता-पिता के साथ जंतर-मंतर पर जमा होकर अपनी शेष शिक्षा के लिए भारतीय संस्थानों में प्रवेश की मांग कर रहे हैं। माता-पिता का कहना है कि सरकार को हमारे बच्चों के करियर को उसी तरह बचाना चाहिए जैसे उन्होंने बच्चों की जान बचाई और उन्हें यूक्रेन से वापस लाया। गौर हो कि यूक्रेन में करीब 18 हजार भारतीय छात्र कीव, खारकीव और सूमी जैसे अलग-अलग शहरों में फंसे हुए थे। मोदी सरकार ने ऑपरेशन गंगा के तहत उन छात्रों को भारत वापस लाया। अब संकट यह है कि वे छात्र बची हुई पढ़ाई कैसे पूरी करेगा। छात्र और अभिभावक चिंतित है।
हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि यूक्रेन की सरकार ने वहां से लौटने को मजबूर हुए भारतीय छात्रों की मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के लिहाज से कुछ छूट देने का फैसला किया है और अब छात्रों को उनके एकेडमिक मूल्यांकन के आधार पर मेडिकल की डिग्री दी जा सकेगी तथा उन्हें ‘KROK 2’ परीक्षा देने की जरूरत नहीं होगी।
विदेश मंत्री जयशंकर ने लोकसभा में नियम 193 के तहत यूक्रेन की स्थिति पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा था कि भारत सरकार यूक्रेन से पढ़ाई बीच में छोड़कर लौटे भारतीय छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित है। उनका कोर्स पूरा हो सके, इस लिहाज से हंगरी, पोलैंड, रुमानिया, चेक गणराज्य और कजाकिस्तान जैसे देशों के साथ संपर्क में है। विदेश मंत्री ने सदन में कहा कि यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों के भविष्य को लेकर वह सदन को सूचना देना चाहते हैं कि यूक्रेन सरकार ने पैसला लिया है कि छात्रों के लिए मेडिकल पढ़ाई पूरी करने के संदर्भ में छूट दी जाएगी।
लेकिन यूक्रेन से लौटे छात्र बाकी की पढ़ाई के लिए भारतीय मेडिकल कॉलेजों में दाखिला चाहते हैं।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।