सुभाषचंद्र बोस या गुमनामी बाबा! फैजाबाद के एक कमरे से मिले सामानों से जब गहरा गया था रहस्‍य

देश
Updated Jan 23, 2021 | 07:22 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

देश आज महान सपूत सुभाष चंद्र बोस की जयंती मना रहा है। उनकी शौर्य गाथा उनके साहस और आजादी को लेकर उनके जज्बे को दर्शाती है तो उनसे जुड़ा गुमनामी बाबा का एक किस्‍सा भी है, जो 1980 के दशक में खूब चर्चे में रहा था।

सुभाषचंद्र बोस या गुमनामी बाबा! फैजाबाद के एक कमरे से मिले सामानों से जब गहरा गया था रहस्‍य
सुभाषचंद्र बोस या गुमनामी बाबा! फैजाबाद के एक कमरे से मिले सामानों से जब गहरा गया था रहस्‍य  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्‍ली : देश आज (शनिवार, 23 जनवरी) महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मना रहा है और राष्‍ट्र के लिए उनके अपार स्‍नेह व समर्पण को याद कर रहा है। आजाद हिंद फौज की स्‍थापना से लेकर अंग्रेजों को चकमा देने सहित उनसे जुड़ी कई गाथाएं उनके शौर्य व साहस का बखान करती हैं तो यह भी दर्शाती हैं कि ब्रिटिश हुकूमत से भारत की आजादी के उनके बुलंद इरादों को भी दिखाती है। आजादी के निडर सिपाही से इतर उनसे जुड़े कई रोचक किस्‍से भी हैं, जिन्‍होंने खूब सुर्खियां बटोरी। इन्हीं में गुमनामी बाबा से जुड़ा एक किस्‍सा भी है, जो 1985 में खूब चर्चा में रहा था।

दरअसल, सुभाष चंद्र बोस को लेकर यह आम धारणा रही है कि उनका निधन अगस्‍त 1945 में हुए एक विमान हादसे में हो गया था। लेकिन इसे लेकर कोई पुख्‍ता प्रमाण सामने नहीं आए हैं, जिसके कारण सुभाष चंद्र बोस को लेकर हमेशा एक रहस्‍य बरकरार रहा। कुछ लोगों का जहां मानना है कि उन्‍हें साइबेरिया की एक जेल में रखा गया, वहीं कुछ लोग यह भी मानते रहे हैं कि सुभाष चंद्र बोस का निधन विमान हादसे में नहीं हुआ था और वे एक हिंदू भिक्षु के रूप में भारत लौट आए थे। यहीं से शुरू होता है उनसे जुड़ा गुमनामी बाबा का किस्‍सा। 

गुमनामी बाबा को लेकर क्‍यों गहराया रहस्‍य?

उत्‍तर प्रदेश के फैजाबाद में रह रहे गुमनामी बाबा की मृत्‍यु 16 सितंबर, 1985 को हो गई थी, जिसके बाद उनके बारे में चर्चाओं ने और जोर पकड़ा। शहर के सिविल लाइन्‍स के 'राम भवन' में रहने वाले गुमनामी बाबा को स्‍थानीय लोग भगवानजी के नाम से भी जानते थे। उन्‍हें गुमनामी बाबा इसलिए कहा जाता था, क्‍योंकि वह बेहद गोपनीय तरीके से यहां रहतेर थे। उन्‍हें मिलने-जुलने की इजाजत बहुत कम लोगों को थी। उनका अंतिम संस्‍कार भी इसी तरह की गोपनीयता के साथ किया गया था। लेकिन लोगों के मन में उन्‍हें लेकर रहस्‍य हमेशा से बरकरार था।

गुमनामी बाबा को लेकर लोगों के मन में उठने वाले तमाम सवालों और उनसे जुड़े रहस्‍य उस वक्‍त और गहरा गए, जब उनके कमरे से कई ऐसे सामान बरामद किए गए, जिसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि ये साधारण बाबा थे। ऐसे में ही इन कयासों को बल मिला कि वे सुभाष चंद्र बोस भी हो सकते हैं। उन्‍हें लेकर जब कौतूहल बढ़ा तो पता चला कि वह 1970 के दशक में यहां पहुंचे थे। हालांकि किसी को भी इसका भान नहीं था कि वह कहां से आए हैं। उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि हर 23 जनवरी को उनसे मिलने के लिए कुछ लोग गोपनीय तरीके से फैजाबाद पहुंचते थे। 

फर्राटेदार अंग्रेजी, जर्मन भाषा के थे जानकार

उस वक्‍त जो रिपोट्स आई थीं, उनमें गुमनामी बाबा को थोड़ा-बहुत जानने वालों के हवाले से यह भी कहा गया कि वह फर्राटेदार अंग्रेजी और जर्मन भाषा बोलते थे। उनके पास दुनियाभर के नामचीन अखबार, पत्रिकाएं और साह‍ित्‍य भी पहुंचते थे। उनके निधन के बाद जब कमरे से मिले सामानों को देखा गया तो वहां किताबों और अखबारों का जखीरा भी मिला।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके पास से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार की तस्वीरों के साथ-साथ वे चिट्ठियां भी मिलीं, जो कलकत्ता से लोग लिखते थे। इन्‍हीं सब बातों ने सुभाषचंद्र बोस को लेकर रहस्‍य व कौतूहल को और बढ़ाया और यह कयास लगने लगे कि गुमनामी बाबा सुभाष चंद्र बोस हो सकते हैं। हालांकि इतिहास यह मानकर चलता है कि 1945 में प्‍लेन क्रैश में उनका निधन हो गया था। बहरहाल, इन सबसे अलग भारत मां के सच्‍चे सपूत को आज हम सब उनकी जयंती पर नमन करते हैं और उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
 

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर