कर्नाटक में 200 से अधिक मस्जिदों को नोटिस जारी किया गया है। पुलिस का कहना है कि उन्हें खबर मिली थी कि आवाज को कम करने के लिए उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब इस मामले में सुन्नी उलेमा काउंसिल के सचिव हाजी मोहम्मद सलीस भी कूद पड़े हैं। कुछ हिंदू ताकतें देश को नफरत की ओर धकेल रही हैं, जो जायज नहीं है। हमारा अज़ान 2-3 मिनट में पूरा हो जाता है, उन्हें भी इससे दिक्कत है। वे अपने 24 घंटे के अखंड पाठ पर (शोर) प्रदूषण नहीं देखते हैं।
अल्पसंख्यक समाज के हर काम पर ऐतराज
उन्होंने कहा कि माहौल ऐसा है कि अगर हम सिर पर टोपी पहनते हैं, दाढ़ी रखते हैं, या हिजाब पहनते हैं तो समस्या है, मॉब लिंचिंग हो रही है। हम जो खाते हैं उस पर भी उनकी नजर है। सलीस ने कहा कि यह समझ के बाहर है कि इस तरह की बातें क्यों की जा रही है। भारत में हर धर्म के लोग एक दूसरे के साथ सदियों से रहते आए हैं। लेकिन अब माहौल खराब होता जा रहा है। इस तरह की ताकतों के खिलाफ लोगों को ही आगे आना होगा। आज एक तरह से खास वर्ग को बांधने की कोशिश की जा रही है। आप ने हाल ही में देखा होगा कि हिजाब को किस तरह से राजनीति का केंद्र बनाया गया।
ऐतराज में दम नहीं
समाज में जिस तरह के कुछ खास लोग नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं उसके खिलाफ भारतीय समाज को आगे आना होगा। लेकिन बीजेपी के नेता कहते हैं कि दरअसल समस्या यह है कि कुछ लोग कुछ खास चश्मे से हालात को देखने की कोशिश कर रहे हैं। भारत में कानून का राज है और उसके मुताबिक सरकार काम कर रही है। सिर्फ और सिर्फ अल्पसंख्यक समाज के सामने कृत्रिम डर का माहौल बनाकर कुछ खास लोग और संगठन अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। हिजाब के मुद्दे पर जब एक अदालत ने फैसला दे दिया है तो उसके बाद हाय तौब्बा मचाने की आवश्यकता नहीं है।
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