50 फीसदी आरक्षण सीमा पर पुनर्विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट, राज्यों को भेजा नोटिस

देश
आईएएनएस
Updated Mar 09, 2021 | 07:27 IST

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया कि क्या आरक्षण की मौजूदा 50 प्रतिशत सीमा को भंग करने की अनुमति दी जा सकती है।

 Supreme Court Asks All States To Submit Views On 50% Reservation
50 फीसदी आरक्षण सीमा पर पुनर्विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट।  |  तस्वीर साभार: PTI

नई दिल्ली : न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया कि क्या आरक्षण की मौजूदा 50 प्रतिशत सीमा को भंग करने की अनुमति दी जा सकती है। साथ ही पीठ ने केंद्र की आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो (ईडब्ल्यूएस) के कोटे में संशोधन की भी बात कही। जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस एस. अब्दुल नाजेर, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस. रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि राज्यों को अपनी बात रखने का अवसर दिया जाना चाहिए।

कोर्ट ने कहा-यह मामला एक राज्य तक सीमित नहीं
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी तब आई जब यह मराठा आरक्षण की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला केवल एक राज्य तक सीमित नहीं है, इसलिए अन्य राज्यों को भी सुनना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस मामले में इसके फैसले का व्यापक असर होगा।

15 मार्च से सुनवाई करेगा कोर्ट
कोर्ट इस संभावना पर भी विचार करेगा कि क्या इंद्रा साहनी के फैसले को किसी बड़ी पीठ को रेफर किया जा सकता है। इस मामले में कोर्ट 15 मार्च से प्रतिदिन सुनवाई शुरू करेगा। गौरतलब है कि पिछले साल 9 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठाओं को नौकरी और शिक्षा के लिए आरक्षण लागू करने में स्थगन आदेश को संशोधित करने से परहेज किया था।

बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती
कोर्ट ने कहा था कि "हमारा विचार है कि इस अपील में उठाए गए मुद्दों और उसके बाद के परिणामों को देखते हुए यह आवश्यक है कि इस अपील की अंतिम सुनवाई जल्द से जल्द पूरी की जाए।" याचिकाकर्ताओं ने जून 2019 में पारित बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। उन्होंने दलील दी है कि शिक्षा और नौकरियों में मराठा समुदाय को क्रमश: 12 प्रतिशत और 13 प्रतिशत कोटा प्रदान करने वाला अधिनियम वर्ष 1992 में सुप्रीम कोर्ट के 9 न्यायाधीशों वाली पीठ के फैसले में दिए गए उस सिद्धांत का उल्लंघन करता है, जिसने आरक्षण में 50 प्रतिशत की सीमा निर्धारित की थी।

हाई कोर्ट ने मराठा कोटे को बरकरार रखा था, जहां उसने फैसला दिया था कि नौकरियों में आरक्षण 12 प्रतिशत और शिक्षा में 13 प्रतिशत होना चाहिए।

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