कोरोना महामारी के इस दौर में देश के अलग अलग सूबों में ऑक्सीजन की किल्लत से हम सभी वाकिफ हैं, केंद्र की सरकार हो या राज्य सरकारें ऑक्सीजन के आपूर्ति का दावा जरूर कर रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर खुद संज्ञान लिया था और शुक्रवार को सुनवाई हुई। इस सुनवाई में अदालत ने ऑक्सीजन और दवाइयों के बारे में केंद्र सरकार से खास सवाल किए और केंद्र सरकार ने हलफनामा दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
टीकों के निर्माण में तेजी लाने के लिए केंद्र को इसके द्वारा निवेश दिखाना चाहिए। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का कहना है कि निजी निर्माताओं द्वारा टीकों के उत्पादन के लिए वित्त पोषित किए जाने पर केंद्र सरकार द्वारा यह सबसे महत्वपूर्ण हस्तक्षेप होगा।SC का कहना है - हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यदि नागरिक सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं, तो इसे गलत जानकारी नहीं कहा जा सकता है। हम जानकारी का कोई क्लैंपडाउन नहीं चाहते हैं। अगर कार्रवाई के लिए ऐसी शिकायतों पर विचार किया जाता है तो हम इसे अदालत की अवमानना मानेंगे।
केंद्र सरकार का अदालत में हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट में जिरह के दौरान केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर जानकारी दी कि कोरोना महामारी की वजह से जो हालात पैदा हुए हैं उससे निपटने के लिए सरकार कई स्तरों पर काम कर रही है। देश के अलग अलग राज्यों में पीएसए प्लांट लगाए जा रहे हैं। इसके साथ ही देश के सभी जिला अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाएगा। जहां तक दवाइयों की बात है कि रेमडिसिविर के प्रोडक्शन को बढ़ाने के साथ ही दुनिया के अलग अलग देशों से आयात भी किया जा रहा है।
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