नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में सुपरटेक के एमरल्ड प्रोजेक्ट के तहत बने 40 मंजिला ट्विन टावर (Supertech Twin Towers) को ढहाने के लिए तय समयसीमा को बढ़ाकर 28 अगस्त कर दिया है। नियमों का उल्लंघन कर बनाए गए ट्विन टावर को अवैध निर्माण करार दिया गया है।न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) द्वारा दायर अर्जी के आधार पर आदेश पारित किया है।
आईआरपी ने ट्विन टावर गिराने का ठेका लेने वाली एडिफाइस इंजीनियरिंग द्वारा इस काम के लिए और समय मांगे जाने के बाद 22 मई की तय तारीख को तीन महीने आगे बढ़ाकर 28 अगस्त करने का अनुरोध किया था।
सुपरटेक के आईआरपी की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि एडिफाइस इंजीनियरिंग द्वारा किए गए परीक्षण विस्फोट में पता चला है कि ट्विन टावर अनुमान के मुकाबले ज्यादा मजबूत है। न्यायमित्र अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने भी आवेदन का समर्थन किया और कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा इस पूरी कार्यवाही की निगरानी करने के लिए तय एजेंसी सीबीआरआई (केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की) ने भी समयसीमा बढ़ाने का समर्थन किया है।
ट्विन टॉवर को ढहाने का काम मुंबई की एडिफाइस इंजीनियरिंग को दिया गया है। कंपनी ने दक्षिण अफ्रीका की कंपनी डेमोलिशन एजेंसी को इस काम के लिए अपना सहयोगी बनाया है, ट्रायल के लिए इमारत में 5 किलो वोस्फोटक लगाया जाएगा और 5 धमाके किए जाएंगे। ये टावर सुपरटेक बिल्डर ने अवैध तरीके से बनाए थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने ध्वस्त करने का आदेश दिया था। ट्विन टावर को तोड़ने में करीब 18 करोड़ का खर्च आएगा, अंदाजा है कि इमारत से करीब 25 हजार टन मलबा निकलेगा। हालंकि अभी बेसमेंट और 14वें फ्लोर में वोस्फोटक की मदद से ब्लास्ट किया जाएगा और इमारत की 5 पिलर में किया ब्लास्ट किया जाएगा।
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