रेवड़ी कल्चर मामले में चीफ जस्टिस वाली बेंच ने मंगलवार की बहस को आगे बढ़ाते हुए कुछ तल्ख टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि यह देखना और समझना जरूरी है कि रेवड़ी कल्चर से देश का कितना नुकसान हो रहा है। हमें एक सामंजस्य बनाकर आगे बढ़ना होगा।रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाने की मांग। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आखिर केंद्र सरकार को कमेटी बनाने में क्या हर्ज है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा ति क्यों न आप इस विषय पर सर्वदलीय बैठक बुलाएं। हम कार्यकारी क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करना चाहते है। सीजेआई 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, इस मामले पर नई बेंच सुनवाई करेगी
बहस के खास अंश
मुफ्त की परिभाषा पानी की तंगी नहीं
चीफ जस्टिस ने मंगलवार को कहा था कि मुफ्त की परिभाषा पानी की तंगी नहीं हो सकती। गरीबों के लिए हाउसिंग बोर्ड के घरों को देखें। कुछ राज्य साइकिल दे रहे हैं। गरीब बच्चे अपनी पढ़ाई में सुधार करके इधर-उधर जा सकते हैं। ताड़ी टप्पर को उपकरण दिए जाते हैं। उसी तरह मछुआरों के लिए सहायता ये कल्याणकारी राज्य के कार्य हैं। तो क्या होना चाहिए यह समझने की एक पद्धति है कि कोई वादा कल्याणकारी उपाय है या मुफ्त। यह निर्धारित किया जाना चाहिए कि कोई वादा कल्याणकारी उपाय या फ्रीबी के रूप में योग्य है या नहीं।
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