नई दिल्ली: कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन के दौरान पारिवारिक हिंसा और बाल उत्पीड़न की घटनाओं भी वृद्धि हुई है। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एन वी रमन ने ये टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन अवधि में परिवारों में हिंसा के मामलों में वृद्धि और बाल दुर्व्यवहार के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई।'
जस्टिस रमन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और शीर्ष अदालत के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। उन्होंने कहा कि महामारी ने महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों को भी प्रभावित किया है।
लॉकडाउन ने बढ़ाईं मुश्किलें
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा अयोजित वेबिनार में उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन लागू होने के बाद हजारों लोगों की मौत हो गई और बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका छिन गई तथा बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों ने अपने घरों की ओर पलायन किया। लॉकडाउन ने ही परिवार के भीतर मनोवैज्ञानिक मुद्दों और हिंसा को जन्म दिया है। महिलाओं पर अधिक काम का बोझ पड़ा है; बच्चे स्कूल जाने में असमर्थ हैं। इसके अलावा, घर के काम करने का भी पारिवारिक जीवन पर असर पड़ा है।'
उन्होंने कहा कि इस संकट के बीच सबसे बड़ी समस्या प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी है और इससे गरीबी, असमानता और भेदभाव बढ़ेगा।
NCW की पास खूब आईं शिकायतें
लॉकडाउन के दौरान राष्ट्रीय महिला आयोग को घरेलू हिंसा की खूब शिकायतें मिलीं। अप्रैल और मई में महिलाओं के खिलाफ अपराध की 22 श्रेणियों में NCW द्वारा प्राप्त 3027 शिकायतों में से 1428 (47.2%) घरेलू हिंसा से संबंधित थीं। दूसरी ओर जनवरी से मार्च तक के आंकड़े बताते हैं कि उस दौरान की गई कुल 4233 शिकायतों में से लगभग 20.6% (871) घरेलू हिंसा से संबंधित थीं।
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