मुंबई: महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार द्वारा भाजपा के 12 विधायकों के निलंबन को असंवैधानिक बताते हुए से रद्द कर दिया है। दरअसल पिछले साल 6 जुलाई को विधानसभा के स्पीकर के साथ अपमानजनक और दुर्व्यवहार करने के आरोप में विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था।
पीठासीन अधिकारी के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार करने के आरोप में विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विधायकों का निलंबन सिर्फ उसी सत्र के लिए हो सकता है, जिसमें हंगामा हुआ था। इससे पहली की सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार को नसीहत देते हुए कोर्ट ने कहा था कि यह फैसला न केवल लोकतंत्र के लिए खतरा है बल्कि तर्कहीन भी है। दरअसल जिन विधायकों को निलंबित किया गया था वो ओबीसी आरक्षण के समर्थन में हंगामा कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा था, ‘कोई भी इन निर्वाचन क्षेत्रों का सदन में प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता, क्योंकि क्षेत्र के विधायक सदन में मौजूद नहीं होंगे। यह सदस्य को नहीं बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र को सजा देने के बराबर है।’महाराष्ट्र सरकार ने दलील दी थी कि अदालत एक विधानसभा द्वारा दिए गए दंड की मात्रा की जांच नहीं कर सकती है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया।
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