नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार कर दिया है, हालांकि इस संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी। केंद्र सरकार को इस विषय पर जनवरी के दूसरे हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। इस संबंध में पहली याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की तरफ से दायर की गई थी उसके बाद कांग्रेस और दूसरे संगठनों के साथ साथ कुल 59 याचिकाएं दायर की गईं।
इस मामले की सुनवाई सीजेआई एस एस बोबड़े की अध्यक्षता में तीन सदस्यों वाली पीठ सुनवाई कर रही थी जिसमें जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्य कांत शामिल थे। अदालत ने कहा कि याचिका को विस्तार से समझने के लिए और समय की जरूरत है, इसके साथ ही केंद्र सरकार को और जानकारियां उपलब्ध करानी है।
सुप्रीम कोर्ट में सीएए
कुल 59 याचिकाएं दाखिल
सीजेआई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यों की पीठ करेगी सुनवाई
याचिका के मुताबिक सीएए अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।
बता दें कि संसद के दोनों सदनों ने नागरिकता संशोधन बिल को भारी बहुमत से पारित कर दिया था। ये बात अलग है कि ज्यादातर राजनीतिक दलों का मानना है कि यह कानून भारतीय संविधान की मूल भावना का उल्लंधन करता है। इस कानून की वजह से सामाजिक समरसता प्रभावित हो रही है। लेकिन संसद और उसके बाहर गृहमंत्री अमित शाह ने अपने अकाट्य दलीलों के जरिए बताया था कि अगर देश का बंटवारा धार्मिक आधार पर नहीं हुआ होता तो शायद इस कानून की जरूरत नहीं पड़ी होती।
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