नई दिल्ली : कोरोना वायरस के फैलाव पर मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग करने वाली एक अर्जी पर अपनी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह के लिए टाल दी। अर्जी में कहा गया कि मीडिया रिपोर्टों में इस बात का जिक्र हो रहा है कि मरकज निजामुद्दीन में पिछले महीने हुए धार्मिक कार्यक्रम के चलते देश में कोविड-19 के संक्रमण का फैलाव हुआ। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने शिकायतों के समाधान के लिए याचिकाकर्ता को भारतीय प्रेस परिषद जाने के लिए कहा।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक सीजेआई ने कहा, 'हम एक ठोस एवं दीर्घ अवधि का उपाय करना चाहते हैं। हम फिलहाल अभी इस मुद्दे पर कोई आदेश पारित करने नहीं जा रहे हैं।' अर्जी पर दलील पेश करते हुए वकील एजाज मकबूल ने कहा, 'मीडिया इस पूरे मामले का संप्रदायीकरण कर रहा है।' अर्जी में दावा किया गया है कि मीडिया की इस तरह की रिपोर्टिंग से समाज में नफरत की भावनी बढ़ रही है। अर्जी में कहा गया है कि सरकार यह रोकने में असफल हुई है इसलिए तब्लीगी जमात से जुड़े मीडिया कवरेज पर रोक लगनी चाहिए।
गौरतलब है कि मार्च मध्य में निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इस कार्यक्रम में विदेशी नागरिकों सहित करीब 4000 भारतीय शामिल हुए। इस कार्यक्रम में शरीक होने के बाद तब्लीग के लोग करीब 17 राज्यों में लोग वापस गए। इनमें से ज्यादातर लोगों में कोविड-19 का संक्रमण पाया गया। यही नहीं ये जिन लोगों के संपर्क में आए वे भी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए। कहा जा रहा है कि तब्लीगी जमात के लोगों ने देश में कोविड-19 के संक्रमण की संख्या को बेतहाशा बढ़ाया।
मामला सामने आने के बाद राज्य सरकारों ने इनकी पहचान करनी शुरू की। बड़ी संख्या में तब्लीगी जमात और उससे जोड़ों लोगों को क्वरंटाइन केंद्रों में रखा गया। मरकज में इस धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर दिल्ली प्रशासन, पुलिस एवं मरकज पर सवाल भी उठे हैं। प्रशासन के निर्देशों पर लापरवाही बरतने के लिए तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद और अन्य के खिलाफ पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है।
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