Bihar Politics: नवंबर 2020 में जब बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एनडीए ने सत्ता में वापसी की तो, यही उम्मीद थी कि एक बार फिर नीतीश और सुशील मोदी की जोड़ी राज्य की कमान संभालेगी। क्योंकि बिहार में जब भी भाजपा और जद (यू) गठबंधन की सरकार रही, तो इसी जोड़ी ने सत्ता संभाली। लेकिन भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने सबको चौंकाते हुए इस जोड़ी को ब्रेक कर दिया और भाजपा के तरफ से कमान नए चेहरों को दी गई। और सुशील मोदी को राज्य सभा के जरिए केंद्र की राजनीति में भेज दिया गया। लेकिन नीतीश के पाला बदलने से भाजपा का पूरा समीकरण ही बिगड़ गया है। और एक बार फिर सुशील मोदी राज्य की राजनीति में एक्टिव हो गए हैं।
नई भूमिका में मोदी
सुशील मोदी का एक्टिव होने का सीधा मतलब है कि नीतीश कुमार को काउंटर करने के लिए भाजपा को उनकी बड़ी जरूरत है। क्योंकि वह जिस तरह लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चारा घोटाले से लेकर जंगलराज को लेकर मुहिम छेड़ते रहे और उसका भाजपा को फायदा मिला है, वैसी ही उम्मीद, पार्टी को एक बार फिर उनसे नीतीश कुमार के लिए हैं। और इसके संकेत मिलने भी लगे हैं। सुशील मोदी, नीतीश कुमार के पाले बदलने के बाद, लगातार हमलावर है। चाहे जंगलराज की बात हो या फिर बिहार में आपराधिक छवि वाले विधायकों को मंत्री बनाने की बात हो, वह लगातार नीतीश कुमार सरकार पर हमला कर रहे हैं।
नीतीश पर लगाया उप राष्ट्रपति पद की मांग करने का आरोप
सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर सबसे पहला हमला, बिहार में सरकार गिरने के कारण बताकर किया। उन्होंने यह आरोप लगाया कि सरकार की सबसे बड़ी वजह यह थी कि भाजपा ने उन्हें उप राष्ट्रपति नहीं बनाया। मोदी ने कहा कि नीतीश उप राष्ट्रपति बनना चाहते थे। नहीं बने इसलिए सरकार गिरा दी।
इसके बाद उन्होंने यह कह दिया कि नीतीश अब मूक दर्शक मुख्यमंत्री होंगे। सब-कुछ तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव तय करेंगे। इसी तरह मंत्रिमंडल बंटवारे पर भी उन्होंने तंज करते हुए कहा कि नीतीश ने तेजस्वी को धोखा देकर गृह मंत्रालय अपने पास रख लिया। साफ है सुशील मोदी अब खुलकर नीतीश कुमार पर बाउंसर फेंक रहे हैं।
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भाजपा के पास सुशील मोदी का विकल्प नहीं !
बिहार में भाजपा की राजनीति को देखा जाय तो वह शुरू से जार्ज फर्नांडीज और फिर नीतीश कुमार के साये में रही है। इसी कमी को देखते हुए भाजपा ने नए और युवा लोगों को मौका देने की कोशिश की थी। भाजपा ने बिहार के जातिगत समीकरण को देखते हुए तारकेश्वर प्रसाद और रेणु देवी को नीतीश सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाया था। दोनों नेता ओबीसी वर्ग से आते हैं। लेकिन इन 2 साल में नीतीश कुमार के मुकाबले उन्होंने अपनी कोई मजबूत छवि नहीं बनाई।
सरकार में रहते हुए अग्निपथ मुद्दे और आरसीपी सिंह मामले पर जिस तरह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल मुखर थे, वह तेवर अब उनके नहीं दिख रहे हैं। और इस समय नीतीश को सीधे टक्कर देने की कमान सुशील कुमार मोदी ने संभाल रखी है। ऐसे में साफ है कि सुशील मोदी का कमबैक हो चुका है।
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