पीएम मोदी के खिलाफ बोलना भारत माता का अपमान, कुछ इस तरह शुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को घेरा

देश
ललित राय
Updated Mar 19, 2021 | 21:31 IST

नंदीग्राम से ममता बनर्जी के खिलाफ ताल ठोंक रहे शुवेंदु अधिकारी ने दो बड़ी बातें कहीं। पहली तो ये कि ममता को मोदी की वैक्सीन को लेना ही होगा। इसके साथ कहा कि मोदी के खिलाफ बोलना मतलब भारत माता का अपमान है।

पीएम मोदी के खिलाफ बोलना भारत माता का अपमान, कुछ इस तरह शुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को घेरा
शुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी पर साधा निशाना 
मुख्य बातें
  • सुवेंदु अधिकारी कभी ममता बनर्जी के खासमखास हुआ करते थे।
  • अभिषेक बनर्जी की मनमानी का हवाला देते हुए टीएमसी से अलग हो गए
  • नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी, ममता बनर्जी के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में जनता यह तय कर देगी कि ममता बनर्जी की हैट्रिक या उनकी नबन्ना से विदाई। अब यदि नबन्ना से विदाई होती है को बंगाल की गद्दी बीजेपी या कांग्रेस-लेफ्ट के हाथ में यह एक सवाल है। ये बात अलग है कि बीजेपी दावा कर रही है कि इस दफा वो 200 सीट से ज्यादा जीतेगी। पीएम मोदी ने भी ममता बनर्जी के खेला होबे के जवाब में कहा कि 2019 में हाफ इस दफा पूरी तरह साफ। इन सबके बीच नंदीग्राम की सीट हॉट सीट बन चुकी है तो उसके पीछे वजह है यह है कभी शागिर्द रहीं ममता बनर्जी और उनके चेले शुवेंदु अधिकारी एक दूसरे के आमने सामने हैं। 

पीएम मोदी का वैक्सीन लेना ही होगा
शुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी ,से कहा कि आपको COVID के खिलाफ पीएम मोदी का टीका लेना होगा। वह पीएम चुने गए हैं। उनेके खिलाफ बोलना लोकतंत्र के खिलाफ बोलने की तरह है। जब आप उनके खिलाफ बोलते हैं तो वो भारत माता के खिलाफ बोलने जैसा है।   पाकिस्तान और बांग्लादेश में वैक्सीन नहीं है, इसलिए आपको पीएम मोदी का टीका लेना होगा।

मिदनापुर की रैली में ममता बनर्जी ने क्या कहा
मिदनापुर की रैली में ममता बनर्जी के तेवर काफी कड़े थे। उन्होंने कहा कि बीजेपी को अलविदा, हम बीजेपी को नहीं चाहते हैं, हम मोदी का चेहरा भी नहीं देखना चाहते हैं, इसके साथ ही दंगा, लूट, दुर्योधन, दुशासन और मीरजाफर भी नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जो पार्टी नफरत की राजनीति करती रही है वो बंगाल के लोगों के साथ क्या करेगी आसानी से समझा जा सकता है। 

क्या कहते हैं जानकार
अब सवाल यह है कि शुवेंदु अधिकारी की भाषा इतनी तीखी क्यों हो चली है। इस बारे में जानकार कहते हैं कि 2011 के आसपास जिस तरह से साए के तरह शुवेंदु अधिकारी ने ममता का साथ दिया उसमें अभिषेक बनर्जी की एंट्री उन्हें नागवार लगी। जिस तरह से अभिषेक बनर्जी को जिम्मेदारी मिली उससे एक संदेश दिया गया कि टीएमसी में अब उन्हें शागिर्द बनना पड़ेगा जो उनके राजनीतिक कद के हिसाब से किसी भी मायने में फिट नहीं बैठता था। ऐसी सूरत में उनके सामने टीएमसी छोड़ना ही एक विकल्प था और उस सूरत में बीजेपी एक अवसर के तौर पर नजर आई। अब जबकि शुवेंद् अधिकारी बीजेपी का हिस्सा बन चुके हैं वैसे में इस तरह के तीखे बोल सुनने को मिलेंगे।

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