Target Killing In Kashmir: बीते बृहस्पतिवार को कश्मीर के कुलगाम में आतंकवादियों ने पहले बैंक मैनेजर विजय कुमार (Bank Manager Vijay Kumar) की हत्या कर दी और उसके बाद देर रात दूसरे हमले में बडगाम में 2 ईंटभट्टा मजदूरों को निशाना बनाया जिसमें में बिहार के रहने वाले दिलसुख की मौत हो गई। इसके पहले मई के महीने में आतंकवादियों ने 7 लोगों को टारगेट किलिंग (Taeget) का निशाना बना चुके थे। जाहिर है अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 (Article 370) हटने के बाद सुधरते हालात , चुनाव की आहट और रिकॉर्ड संख्या में पर्यटकों (Record Tourist) की तादाद आतंकवादियों के आंख की किरकरी बन गए हैं। ऐसे में वह लोगों में दहशत फैलाने के लिए टारगेट किलिंग को हथियार बना रहे हैं।
जिसमें ज्यादातर कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandit) और देश के दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी या नौकरी के लिए आए लोग उनके निशाने पर हैं। आतंकवादियों की कोशिश है कि घाटी में एक बार फिर 1990 जैसा माहौल बना दिया जाय। जिससे कश्मीरी पंडित और बाहर के लोग कश्मीर से पलायन कर जाए। आतंकवादियों ने इस रणनीति को अगस्त 2021 में मशहूर फॉर्मासिस्ट और कश्मीरी पंडित माखन लाल बिंद्रू की हत्या से अंजाम देना शुरू किया था। और अब तक वह 37 बेकसूर लोगों की हत्या कर चुके हैं। इस समय कश्मीर में करीब 10,000 हिंदू और कश्मीरी पंडित रहते हैं।
आतंकियों के खतरनाक हैं इरादे
आतंकवादियों के इरादे कितने खतरनाक हैं, इसे उनके बयान से समझा जा सकता है। 2 जून को कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स के प्रवक्ता वसीम मीर द्वारा जारी बयान और पत्र में कहा गया है कि जिस तरह बैंक मैनेजर विजय कुमार की हत्या की गई है, उसी तरह उन सभी को मार दिया जाएगा जो कश्मीर के डोमिसाइल में बदलाव करने की कोशिश करेंगे। इसलिए दूसरे राज्यों के लोग जो यहां आकर बस गए हैं और यह मूखर्तापूर्ण उम्मीद कर रहे हैं कि मोदी सरकार उनको यहां बसाएगी, यह और कुछ नहीं केवल छलावा है। उन्हें अब हकीकत समझनी चाहिए, नहीं तो ऐसा न हो कि बहुत देर हो जाए और अगला नंबर आपका हो..
आतंकवादियों के इस धमकी भरे खत और बयान का सीधा मतलब हैं कि वह कश्मीरी पंडित और दूसरे राज्ये को लोगों को कश्मीर छोड़ कर जाने की बात कह रहे हैं। बढ़ती टारगेट किलिंग और कश्मीरी पंडितों की मांग और धरना प्रदर्शन को देखते हुए अब सरकार ने कश्मीरी प्रवासियों और जम्मू संभाग के अन्य कर्मचारियों को 6 जून तक सुरक्षित स्थानों पर तैनात करने का फैसला लिया है। जाहिर है मोदी सरकार अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर को लेकर सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रही है।
माखनलाल बिंद्रू से शुरू हुआ टारगेट किलिंग का सिलसिला
असल में अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों पर बड़ी कार्रवाई की है। इसके तहत करीब 540 आतंकवादी मारे जा चुके हैं। इसके अलावा सुरक्षा बलों की सख्ती की वजह से सीमा पार से आतंकवादियों को समर्थन मिलना कम हुआ है। ऐसे में उनके लिए पहले की तरह बड़े आतंकी हमले करना मुश्किल हो गया है। जिस कारण उन्होंने हाइब्रिड आतंकियों का सहारा लेकर टारगेट किलिंग पर फोकस कर दिया है। और इसकी शुरूआत अक्टूबर 2021 में श्रीनगर के इकबाल पार्क इलाके के प्रतिष्ठित केमिस्ट और कश्मीरी पंडित माखनलाल बिंद्रू की हत्या से की गई थी। आतंकवादियों ने उन्हें मेडिकल शॉप में घुसकर मारा था। 68 साल के बिंद्रू उन चुनिंदा लोगों में थे, जिन्होंने 90 के दशक में भी कश्मीरी पंडितों पर हमले होने के बाद भी कश्मीर को नहीं छोड़ा था। और उसके बाद से अब तक 37 लोगो कोंआतंकवादी शिकार बना चुके हैं।
ताजा हालात में माखल लाल बिंद्रू की हत्या को टर्निंग प्वाइंट माना जा सकता है। क्योंकि उनकी हत्या के 18 साल पहले इस तरह की टारगेट किलिंग हुई थी। उस समय 2003 में कश्मीर के शोपिया जिले (उस वक्त पुलवामा जिला) नंदीमार्ग गांव में आतंकवादियों ने 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी थी। उसके बाद से अब अक्टूबर 2021 से खास तौर पर कश्मीरी पंडित और दूसरे राज्यों से आए लोगों को निशाना बनाने का सिलसिला फिर बड़े पैमाने पर शुरू हो चुका है।
इस समय 10 हजार कश्मीर में हिंदू और कश्मीरी पंडित
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के प्रेसिडेंट संजय टिक्कू ने माखनलाल बिंद्रू की हत्या के समय टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बताया था 'कश्मीर घाटी में पुश्तैनी 800 हिंदू और कश्मीरी पंडितों के परिवार हैं। इसके अलावा बाहर से आकर यहां काम करने वाले 3565 हिंदू हैं। यूपीए सरकार के समय 2009 में दिए गए पैकेज के जरिए 4000 लोग घाटी में आए थे। कुल मिलाकर करीब 10 हजार हिंदू और कश्मीरी पंडित रह रहे हैं।' जाहिर है ये लोग आतंकियों के निशाने पर हैं और अब इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी मोदी सरकार पर है।
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क्या चुनाव नहीं होने देना चाहते आतंकवादी
अगर आतंकियों के हमले का पैटर्न देखा जाय तो जबसे कश्मीर में चुनाव कराने की चर्चाएं शुरू हुई हैं। उसके बाद से आतंकियों ने टारगेट किलिंग की घटनाएं तेज कर दी है। कश्मीर में जल्द चुनाव होंगे इसको लेकर पहला अहम बयान गृह मंत्री अमित शाह ने जनवरी 2022 में कश्मीर दौरे पर दिया था। उसके बाद से परिसीमन आयोग ने भी मई 2022 में अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है। और अगर टारगेट किलिंग की घटनाओं को देखा जाए तो साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (STP) के अनुसार जनवरी से लेकर मई तक 18 लोगों को आतंकियों ने निशाना बनाया है, जिसमें पुलिस कर्मी भी शामिल हैं। और इसमें 7 हत्याएं मई में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट सौंपने के बाद हुई है। जाहिर है आतंकवादी दहशत फैला कर चुनाव प्रक्रिया को भी रोकना चाहते हैं।
आज हाईलेवल मीटिंग
टारगेट किलिंग की चुनौती से कैसे निपटा जाय इसके लिए आज एक बार फिर से गृह मंत्री अमित शाह , राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA)अजित डोभाल जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, DGP दिलबाग सिंह, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मीटिंग है। इसके पहले बुधवार को भी अहम बैठक हुई थी। जाहिर है इस दिशा में सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे, नहीं तो अनुच्छेद 370 हटने के बाद जो बदलाव की आहट दिख रही थी, उसके खत्म होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।
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