नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना के बेड़े में आने वाले दिनों में 83 तेजस लड़ाकू विमान शामिल होंगे। सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल समिति ने वायुसेना के लिए करीब 48,000 करोड़ रुपये की लागत से 83 तेजस विमानों की खरीद को को मंजूरी दे दी है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन से तनाव के बीच इसे काफी अहम माना जा रहा है। ये लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना की ताकत में कई गुना इजाफा करेंगे।
सुरक्षा मामलों की समिति द्वारा इस डील को मंजूरी दिए जाने के अगले ही दिन गुरुवार को भारतीय वायुसेना के प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने तेजस विमानों को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी निर्मित हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस चीन और पाकिस्तान के बहुचर्चित JF-17 से कहीं अधिक बेहतर व उन्नत है और महत्वपूर्ण मिशन को अंजाम देने में पूरी तरह सक्षम है।
आईएएफ चीफ ने कहा कि जिन 83 स्वदेशी निर्मित लड़ाकू विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा, वे अस्त्र जैसे स्वदेशी निर्मित हथियारों से भी लैस होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय लड़ाकू विमान तेज चीन और पाकिस्तान के JF-17 से कहीं अधिक बेहतर व उन्नत है। इस सवाल के जवाब में कि क्या तेज बालाकोट जैसे एयरस्ट्राइक को अंजाम देने में सफल होगा, IAF प्रमुख ने कहा कि इसकी स्टैंडऑफ वेपन क्षमता उससे कहीं अधिक होगी, जो बालाकोट के समय इस्तेमाल होती थी।
चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान तेजस को एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने विकसित किया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि कम ऊंचाई पर उड़कर दुश्मन पर नजदीक से सटीक निशाना साध सकता है और दुश्मन के रडार को भी चकमा दे सकता है। यह हवा से हवा में, हवा से जमीन पर मिसाइल दागने में सक्षम है तो इसमें एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट भी लगाए जा सकते हैं।
तेजस लड़ाकू विमानों का मुख्य काम देश की सीमाओं में घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करना होगा। विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने इसी तरह के मिशन को अंजाम देते हुए मिग-21 विमान से पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया था, जब उसने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी।
यहां उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी, 2019 को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने बड़ा कदम उठाते हुए 26 फरवरी, 2019 को पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक कर आतंकियों के ठिकाने नष्ट कर दिए थे। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। IAF की कार्रवाई के अगले ही दिन 27 फरवरी को पाकिस्तानी वायुसेना ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की थी, जिसे भारतीय वायुसेना ने नाकाम कर दिया।
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