Telangana encounter case: सांसदों की मिली जुली प्रतिक्रिया, कुछ समर्थन में तो कुछ का है विरोध

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Updated Dec 06, 2019 | 13:40 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

तेलंगाना गैंग रेप के आरोपियों के एनकाउंटर में संसद से मिली जुली प्रतिक्रिया आई है। असदुद्दीन ओवैसी, सीताराम येचुरी और शशि थरूर को पुलिसिया कार्रवाई पर ऐतराज है।

Telangana encounter case: सांसदों की मिली जुली प्रतिक्रिया, कुछ समर्थन में तो कुछ का है विरोध
तेलंगाना एनकाउंटर पर संसद की मिली जुली प्रतिक्रिया 

नई दिल्ली। शुक्रवार को करीब साढ़े सात का वक्त था, एक ऐसी खबर ने दस्तक दी जिस पर पहले भरोसा नहीं हुआ। खबर भी कुछ वैसी ही थी तेलंगाना गैंगरेप के सभी चारों आरोपी पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके थे। आरोपियों को पुलिस घटनास्थल पर सीन रिक्रिएशन के लिए गई और आरोपियों ने जब भागने की कोशिश की तो उन्हें मार गिराया गया। 

इस खबर के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई। ज्यादातर लोग पुलिसिया कार्रवाई को जायज ठहरा रहे हैं तो कुछ लोगों को लगा कि यह न्यायिक प्रक्रिया में दखलंदाजी है और ऐसा नहीं होना चाहिए था। इन सबके बीच लोकतंत्र के मंदिर में क्या कुछ हुआ उस पर नजर डालेंगे।संसद में शुक्रवार को तेलंगाना एनकाउंटर केस के साथ साथ उन्नाव गैंगरेप केस का मुद्दा छाया रहा। 

विरोध के सुर
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर आप इसे सही ठहरा सकते हैं। लेकिन न्यायिक व्यवस्था से इतर जाकर इस तरह के मुठभेड़ को जायज नहीं ठहराया जा सकता है। अगर इसी तरह से पुलिस इंसाफ दिलाने का ट्रेंड स्थापित करेगी को न्यायिक व्यवस्था का मतलब ही क्या रह जाएगा।त

एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हैदराबाद में जो कुछ हुआ था उसकी वो निंदा करते हैं। लेकिन गैर न्यायिक तरीके से मुठभेड़ का वो समर्थन नहीं करते हैं। कायदे से सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के अनुरूप हर मुठभेड़ की जांच की जानी चाहिए।

सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि गैर हत्याओं को जायज कैसे ठहराया जा  सकता है। बलात्कार के मामलों के सामने आने के बाद रोष और आवेग का स्तर कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। महिलाएं उस आवेग से ज्यादा प्रभावित होती हैं। लेकिन किसी भी खास तबके की चिंता का जवाब मुठभेड़ के जरिए नहीं दिया जा सकता है।  

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि तेलंगाना में एनकाउंटर किस हालात में हुआ है उस पर विचार करने की जरूरत है। लेकिन उनका मानना है कि अगर हमारे पास न्यायिक व्यवस्था है तो हमें उसका सम्मान करना चाहिए। 

बीजेपी सांसद मेनका गांधी को तेलंगाना पुलिस की कार्रवाई पर ऐतराज है, उनका कहना है कि जो हुआ वो भयानक है। कोई भी शख्स कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता है। आरोपियों को किसी भी तरह से कोर्ट के जरिए फांसी पर लटकाया जाना चाहिए था। अगर आप कायदे कानून से इतर जाकर गोली मारना चाहते हैं तो कानून और अदालत का अर्थ ही नहीं रह जाता है।

समर्थन में सुर
वाईएसआर कांग्रेस के सांसद कृष्णा राजू ने कहा कि आरोपी इसी तरह की सजा के हकदार थे। भगवान का शुक्र है उन्हें गोली मार दी गई, यह एक अच्छी सबक है, आरोपियों ने भागने की कोशिश की और उन्हें मार दिया गया। किसी भी एनजीओ का इसका विरोध नहीं करना चाहिए जो ऐसा करते हैं वो देशद्रोही हैं। 


निर्दलीय सांसद नवनीत राणा का कहना है कि मां और पत्नी होने के नाते वो तेलंगाना मुठभेड़ का समर्थन करती हैं। अगर ऐसा नहीं होते तो वे कुछ वर्षों के लिए जेल में होते। उन्होंने कहा कि निर्भया का नाम भी निर्भया नहीं था, उन्हें ऐसे लगता है कि ऐसे मामलों में नामकरण से बेहतर है कि अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाए।

 

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