युवाओं के देता था आतंकी ट्रेनिंग, धर्म युद्ध छेड़ने के लिए उकसाता था, NIA के राडार पर अल-कायदा से जुड़ा अख्तर हुसैन लश्कर

असम निवासी अख्तर हुसैन लश्कर भारत में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की ट्रेनिंग देता था और यु वाओं को धर्म के नाम पर युद्ध छेड़ने के लिए भी उकसाता था।  अल-कायदा से उसके संबंध को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जांच कर रही है।

Terrorist training was given to youths, used to incite to wage a religious war, Akhtar Hussain Lashkar associated with Al-Qaeda on NIA radar
राष्ट्रीय जांच एजेंसी 
मुख्य बातें
  • सोशल मीडिया के जरिये युवाओं को कट्टरपंथी बनाता था।
  • युवाओं को धर्म के नाम पर युद्ध छेड़ने के लिए भी उकसाता था।
  • युवाओं को आतंकी ट्रेनिंग देने के लिए अफगानिस्तान का खुरासान प्रांत भी भेजता था।

नई दिल्ली: असम निवासी अख्तर हुसैन लश्कर का संबंध प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अल-कायदा (Al-Qaeda) को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जांच कर रही है। साथ ही लश्कर पर यह भी आरोप है कि युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के साथ-साथ उन्हें कश्मीर भेजने की साजिश भी रच रहा था। वह युवाओं को आतंकी ट्रेनिंग देने के लिए अफगानिस्तान का खुरासान प्रांत भी भेजता था। एएनआई द्वारा एक्सेस की गई एफआईआर में इस तथ्य का खुलासा हुआ कि लश्कर ने युवाओं को धर्म के नाम पर युद्ध छेड़ने के लिए भी उकसाता था।

असम के कछार जिले के थेल्टिकर गांव के निवासी और वर्तमान में बेंगलुरु के तिलकनगर इलाके में रहने वाले लश्कर को सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं के कट्टरपंथी बनाने, युवाओं को भारत के खिलाफ देशद्रोह में लिप्त होने और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने में शामिल होने से संबंधित गतिविधियों में लिप्त पाया गया था। वह युवाओं को यह दिखाकर उकसाता था कि भारतीय सेना कश्मीर में मुसलमानों पर अत्याचार कर रही है।

एफआईआर में कहा गया कि इसके अलावा, उपरोक्त आरोपी ने कट्टरपंथी युवाओं को कश्मीर और अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत में भारत के खिलाफ आतंकवादी ट्रेनिंग और युद्ध छेड़ने के लिए भेजने की साजिश रची थी और भारत भर में आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अल-कायदा और अन्य संस्थाओं और विदेशों से आकाओं के साथ संबंध थे। 

एनआईए की FIR 30 अगस्त को लश्कर और एक अब्दुल अलीम मंडल उर्फ एमडी जुबा के खिलाफ दर्ज की गई थी, जो कुलतली, गोदाबार, तंगराबीची, दक्षिण 24 परगना, पश्चिम बंगाल के मूल निवासी हैं और वर्तमान में सलेम, तमिलनाडु में रहते हैं। दोनों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 10, 13, 15, 16, 18 और 20 के तहत मामला दर्ज किया गया था। FIR 24 जुलाई को बेंगलुरु पुलिस द्वारा पहले दर्ज किए गए एक मामले पर आधारित है। बेंगलुरु पुलिस को 24 जुलाई को लश्कर के खिलाफ सूचना मिली थी कि उसने "द ईगल ऑफ कोहरासन" और "हिंडर-ईगल" नाम से टेलीग्राम ग्रुप बनाए हैं और युवाओं को कट्टरपंथी बनाया है।

बाद में, जांचकर्ताओं ने पाया कि आरोपियों ने युवाओं को कट्टरपंथी युवकों के आतंकवादी ट्रेनिंग से गुजरने के लिए कश्मीर और अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत में भेजने की साजिश रची और उन्हें धर्म के नाम पर युद्ध छेड़ने के लिए उकसाया। जांचकर्ता ने यह भी पाया कि लश्कर ने भारत में विघटनकारी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश की थी। आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों के लिए उसके सऊदी अरब और अफगानिस्तान की संस्थाओं और संचालकों के साथ संबंध हैं।

एफआईआर के मुताबकि लश्कर युवाओं को भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए उकसाने में शामिल है, यह दिखाकर कि भारतीय सेना कश्मीर में मुसलमानों पर अत्याचार कर रही है। उसने युवाओं को भारत के खिलाफ देशद्रोह में लिप्त होने और भारत की संप्रभुता को प्रभावित करने के लिए  उकसाया और भारत में सांप्रदायिक हिंसा पैदा करने के लिए साजिश रची है।

एफआईआर के अनुसार, लश्कर बेंगलुरु से कश्मीर जाने की योजना बना रहा था और उसका संबंध प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अल-कायदा से था। एनआईए ने गृह मंत्रालय से जारी एक आदेश के बाद मामला फिर से दर्ज किया और आतंकवाद विरोधी एजेंसी की बेंगलुरु शाखा द्वारा जांच की जा रही है।
 

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