सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश एन वी रामन्ना अपनी ही रजिस्ट्री विभाग से परेशान हैं। उन्होंने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अभी तो कुछ बोलना उचित नहीं होगा। लेकिन जिस दिन उनकी विदाई होगी उस दिन वो जरूर बोलेंगे। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्हें इस तरह की बात कहनी पड़ी। दरअसल चीफ जस्टिस ही मास्टर ऑफ रोस्टर होते हैं। मुकदमों की लिस्टिंग को लेकर उन्होंने बेबसी का जिक्र किया। दरअसल बुधवार को सुनवाई के लिए एक मामला सूचीबद्ध थाष लेकिन रजिस्ट्री ने उसे हटा दिया था। एक वकील ने चीफ जस्टिस से कहा कि उनका मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था लेकिन पता चला की उसे लिस्ट से हटा दिया गया है। वकील ने कहा कि इस तरह मामलों को हटाए जाने से परेशानी होती है।
रजिस्ट्री से परेशान जज
पिछले हफ्ते एक ऐसा ही मामला सामने आया था जिसमें जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने रजिस्ट्री के अधिकारियों से जवाब मांगा था कि जब मामला पहले से सूचीबद्ध था तो उसे क्यों हटाया गया। इससे पहले एक और मुख्य न्यायधीश ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए रजिस्ट्री के अधिकारियों को कोर्ट में बैठा लिया था और कहा कि वो लोग खुद सुनें कि वकील किस तरह की समस्या का सामना करने के साथ शिकायत करते हैं।
रजिस्ट्री से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से
रजिस्ट्री से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से भी हैं। मसलन एक जस्टिस को अपने अर्दली की फटी हुई टोपी को बदलवाने के लिए कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ा। जज ने अपने अर्दली से पूछा था कि आखिर टोपी बदलवाने में क्यों दिक्कत आ रही है तो उसका जवाब था कि उसकी तरफ से कई बार कोशिश की गई। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला
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